नवीन चौहान
पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने कर्तव्य परायणता की मिशाल पेश की। नम आंखों से मां का अंतिम संस्कार किया और खाकी के प्रति अपने फर्ज को अंजाम दिया। कांवड़ यात्रा के सबसे चुनौतीपूर्ण दिन डाक कांवड़ियों की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर अधीनस्थों को निर्देश देते रहे। पुलिस बल का मनोबल बढाते रहे। कांवड़ियों की भीड़ और उनकी सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सजग दिखाई दिए।
रविवार को पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार की माता सावित्री देवी जी का निधन हो गया। वह कुछ वक्त से बीमार चल रही थी। उनका देहरादून के निजी अस्पताल में इलाज चल रहा था। जबकि डीजीपी अशोक कुमार अपनी मां की सेवा में जुटे थे। मां की बीमारी के अंतिम वक्त तक अपने कर्तव्य धर्म का पालन करते रहे। लेकिन रविवार को डीजीपी अशोक कुमार पर दुखों का पहाड़ टूट गया। अपनी मां से बिछड़ने का असहनीय दुखों से मुकाबला करना था। मां की मृत्यु किसी भी सामान्य इंसान को मानसिक रूप से हृदय की गहराईयों तक व्यथित करती है। डीजीपी अशोक कुमार को अपनी मां से बेहद लगाव था। उनके चरणों में बैठना अपना सौभाग्य समझते थे। किसी भी कार्य को करने से पहले मां का आशीर्वाद लेना नही भूलते थे। मां से जुड़ी यादों को सोशल मीडिया के माध्यम से संजो कर रखते थे। मां के दिए संस्कारों का उनपर बेहद प्रभाव है। मां के दिए संस्कारों के प्रभाव का असर कांवड़ यात्रा के अंतिम दिन भी दिखाई दिया। जहां उन्होंने अपनी मां की चिता को नम आंखों से मुखाग्नि देकर बेटे होने का फर्ज पूरा किया। वही दूसरी ओर खाकी के मित्रता, सेवा और सुरक्षा के स्लोगन को चरितार्थ किया।