नवीन चौहान,
हरिद्वार। डबल इंजन की सरकार में हरिद्वार के सिडकुल से कई फैक्ट्री बंदी के कगार पर पहुंच गई है। फैक्ट्री मालिकों ने तालाबंदी कर दी है। फैक्ट्री को बेचने का मन बना लिया है। इसी के साथ प्रदेश में बेरोजगारी का संकट भी गहराने लगा हैं। औद्योगिक पैकेज के समाप्त होने के बाद जीएसटी की मार से फैक्ट्री मालिकों को नुकसान उठाना पड़ रहा था।
उत्तराखंड राज्य के गठन के बाद सिडकुल क्षेत्रों की स्थापना शुरू हो गई थी। सिडकुल में फैक्ट्री स्थापित करने के लिये मालिको को औद्योगिक पैकेज में कर छूट प्रदान की गई थी। जिसके बाद हरिद्वार, देहरादून, उधमसिंह नगर में सिडकुल को स्थापित किया गया। देश के कई बड़े उद्योगपतियों ने यहां अपनी फैक्ट्री लगाई और उत्पादन कार्य प्रारम्भ किया। फैक्ट्री लगने के साथ ही स्थानीय निवासियों को रोजगार मिलना शुरू हो गया। पहाड़ों के लिये हरिद्वार, देहरादून और उधमसिंह नगर में आकर नौकरी करने लगे। लेकिन 17 सालों के बाद अब केंद्र सरकार ने जीएसटी लगा दिया वही दूसरी ओर फैक्ट्री मालिको को कर छूट भी खत्म कर दी गई। जिसके बाद सिडकुल हरिद्वार की कई फैक्ट्री पूरी तरह से बंद हो गई है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण उत्पादन किये जाने वाला सामान दूसरे राज्यों की अपेक्षा मंहगा होना बताया जा रहा है। जब माल की ब्रिकी ही नहीं हो रही तो फैक्ट्री को चलाये रखने का औचित्य भी खत्म हो गया। कोई मालिक घाटे का सौंदा करने को तैयार नहीं है। जबकि डबल इंजन की सरकार ने फैक्ट्री मालिको की दिशा में कोई सकारात्मक कार्य नहीं किया है। यही कारण है कि उत्तराखंड में एक बार फिर बेरोजगारी के बादल मंडराते दिखाई पड़ रहे है।