हरीश रावत के प्रहारों के घावों पर कोई लगा रहा मरहम तो कोई टाइपराइटर बता साध रहा निशाना




जोगेंद्र मावी
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के प्रहारों के घावों पर कोई नेता मरहम लगा रहा है तो कोई निशाना साध रहे हैं। वैसे तो उनकी सोशल बेवसाइट की टिप्पणी से कांग्रेस की राजनीति में घमासान मचा हुआ है। हरीश रावत ने हरिद्वार के एक नेता पर यह कहकर निशाना साधा कि अपने वार्ड का चुनाव तक नहीं ​जीता सके और कई तो कभी चुनाव मैदान में उतरे ही नहीं। बात कुछ भी हो, लेकिन हरीश रावत ने अपने शब्दों से कई नेताओं पर जमकर निशाना साधा। लेकिन उनकी बातों में एक गूढ़ रहस्य छिपा हुआ सामने आया कि वे राहुल गांधी के प्रधानमंत्री बनने के बाद राजनीति से संन्यास ले लेंगे। लेकिन उन्होंने कांग्रेस में आरएसएस से आए नए नेताओं पर जो जमकर निशाना साधा, उससे कईयों में खलबली मची हुई है। उनकी टिप्पणी के कुछ भी अर्थ निकलकर सामने आ रहे हो, लेकिन हरिद्वार के कांग्रेस के नेताओं ने अपनी भड़ास निकालनी शुरू कर दी है।
युवक कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष राजीव चौधरी ने लैपटॉप के समय में टाइपराइटर की बात करना न्याय संगत नहीं है, कहकर हरीश रावत को पुराने समय का टाइपराइटर बता दिया है, जबकि उनकी नजर में अब प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह लैपटॉप है। हालांकि वह कई बार लिख चुके हैं प्रदेश में प्रीतम सिंह के नेतृत्व में राज्य सरकार बनेगी।
कांग्रेस के ओबीसी विभाग के राष्ट्रीय महासचिव प्रमोद खारी ने हरीश रावत के नेतृत्व में ही अगली सरकार बनाने की बात कही है। उन्होंने अगले दो महीने में कुछ होने का संकेत दिया है।
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पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने यह लिखी थी टिप्पणी
महाभारत के युद्ध में अर्जुन को जब घाव लगते थे, वो बहुत रोमांचित होते थे। #राजनैतिक जीवन के प्रारंभ से ही मुझे घाव दर घाव लगे, कई-कई हारें झेली, मगर मैंने राजनीति में न निष्ठा बदली और न रण छोड़ा। मैं आभारी हूं, उन बच्चों का जिनके माध्यम से मेरी #चुनावी हारें गिनाई जा रही हैं, इनमें से कुछ योद्धा जो आरएसएस की क्लास में सीखे हुए हुनर, मुझ पर आजमा रहे हैं। वो उस समय जन्म ले रहे थे, जब मैं पहली हार झेलने के बाद फिर युद्ध के लिए कमर कस रहा था, कुछ पुराने चकल्लस बाज़ हैं जो कभी चुनाव ही नहीं लड़े हैं और जिनके वार्ड से कभी कांग्रेस जीती ही नहीं, वो मुझे यह स्मरण करा रहे हैं कि मेरे नेतृत्व में कांग्रेस 70 की विधानसभा में 11 पर क्यों आ गई! ऐसे लोगों ने जितनी बार मेरी चुनावी हारों की संख्या गिनाई है, उतनी बार अपने पूर्वजों का नाम नहीं लिया है, मगर यहां भी वो चूक कर गये हैं। अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, चंपावत व बागेश्वर में तो मैं सन् 1971-72 से चुनावी हार-जीत का जिम्मेदार बन गया था, जिला पंचायत सदस्यों से लेकर जिलापंचायत, नगर पंचायत अध्यक्ष, वार्ड मेंबरों, विधायकों के चुनाव में न जाने कितनों को लड़ाया और न जाने उनमें से कितने हार गये, ब्यौरा बहुत लंबा है मगर उत्तराखंड बनने के बाद सन् 2002 से लेकर सन् 2019 तक हर चुनावी युद्ध में मैं नायक की भूमिका में रहा हूं, यहां तक कि 2012 में भी मुझे पार्टी ने हैलीकॉप्टर देकर 62 सीटों पर चुनाव अभियान में प्रमुख दायित्व सौंपा। चुनावी हारों के अंकगणित शास्त्रियों को अपने गुरुजनों से पूछना चाहिए कि उन्होंने अपने जीवन काल में कितनों को लड़ाया और उनमें से कितने जीते? यदि #अंकगणितीय खेल में उलझे रहने के बजाय आगे की ओर देखो तो समाधान निकलता दिखता है। श्री #त्रिवेंद्र_सरकार के एक काबिल मंत्री जी ने जिन्हें मैं उनके राजनैतिक आका के दुराग्रह के कारण अपना साथी नहीं बना सका, उनकी सीख मुझे अच्छी लग रही है। मैं संन्यास लूंगा, अवश्य लूंगा मगर 2024 में, देश में राहुल गांधी के नेतृत्व में संवैधानिक लोकतंत्रवादी शक्तियों की विजय और राहुल_गांधी के प्रधानमंत्री बनने के बाद ही यह संभव हो पायेगा, तब तक मेरे शुभचिंतक मेरे संन्यास के लिये प्रतीक्षारत रहें।
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युवक कांग्रेस के जिलाध्यक्ष राजीव चौधरी ने यह लिखकर साधा निशाना
कल मेंने आदरणीय पूर्व मुख्यमंत्री जी का उनके पेज पर महाभारत ज्ञान पढ़ा। जिसमें अर्जुन को लगे घाव के बारे मे बात कर रहे थे और अपने संघर्ष के बारे मे कह रहे थे। जिसमें उन्होंने नौजवानों को उम्र और अपने तजुर्बे के बारे मे लिखा मेरा मानना है कि मेरा बेटा मुझसे 27 साल छोटा है, परंतु उसका कंप्यूटर का ज्ञान मुझसे ज़्यादा है तो क्या मैं अपनी ज़्यादा उम्र को लेकर उसको अपमानित करू। क्यूंकि लैपटॉप के समय में टाइपराइटर की बात करना न्याय संगत नहीं है। रही बात संघर्ष की तो किसी भी पार्टी को मजबूत करने के लिए केवल एक इंसान का संघर्ष काफी नहीं होता, उस कामयाबी के पीछे कई लोगों का बलिदान होता है। परन्तु आपने कभी भी आपके लिए काम करने वाले कार्यकर्ताओं को मजबूत नहीं होने दिया। जिस कारण 2009 में भारी भरकम जीत के बावजूद 2014 में हम बुरी तरह से चुनाव हार गए, मगर आप कभी भी अपनी गलतियों पर चिंतन नहीं करेंगे। बस दूसरों को दोष देते हो 2014 की हार के बाद आपने और आपके कर्मचारियों ने हरिद्वार की जनता के बारे मे क्या क्या कहा उस पर आपने कभी अफसोस जाहिर नहीं किया। बस हरिद्वार के कॉंग्रेस कार्यकर्ताओं एसा अहसास कराते रहे की जैसे सारी गलती इन बेचारों की है। फिर आपने 2019 मे नैनीताल लोकसभा में हाथ आजमाये मगर वहां भी नाकामयाब हुए इन नाकामयाबी से भी आपने अपनी कार्य शैली में कोई सुधार नहीं किया। बस दूसरों को दोष देने में लगे हैं। मै आपका शुभचिंतक हूं इसलिए निवेदन कर रहा हूं कृपया एकांत में बैठकर अपनी कमियों पर चिंतन करें और उसमें सुधार लाए। मान्यवर जिस डाल पर बैठकर उसी को काटने से ना तो खुद का भला होता है और ना ही उस पेड़ का भला होता है। कुछ आपको गलत लिखा और आपको बुरा लगे तो माफ करना मैं आपका शुभचिंतक हू कोई चमचा नहीं हूं।
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कांग्रेस के ओबीसी के राष्ट्रीय महासचिव प्रमोद खारी ने यह लिखा
प्रमोद खारी ने लिखा कि हरीश रावत जी उत्तराखंड की जनता के दिलो में बस्ते हैं। कुछ लोग अपनी गलत फेमी निकाल दे क्योंकि चुनाव भी हरीश रावत जी के नेर्तत्व में होने है और सरकार भी निश्चित रूप से आनी है। मुख्यमंत्री भी हरीश रावत ही बनेंगे। इसलिए कुछ कांग्रेस को खत्म करने वाले लोग अपनी गलत फेमी दूर करें। जनवरी, फरवरी का इंतजार करें सब सही होगा।



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