भविष्य में मल्टी लेयर फार्मिंग और वैदिक खेती की आवश्यकता: सूर्य प्रताप शाही




मेरठ। सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी खाद्य सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण के लिए सतत् कृषि पद्धतियों पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ किया गया। संगोष्ठी का शुभारंभ प्रदेश के कृषि, कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान मंत्री सूर्य प्रताप शाही द्वारा दीप प्रज्वलित करके किया गया। इस दौरान कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर के.के. सिंह एवं निर्देशक केंद्रीय पशु अनुसंधान संस्थान डॉ अशोक कुमार मोहंती भी उपस्थित रहे।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कैबिनेट मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि खाद्य सुरक्षा जलवायु परिवर्तन, बढ़ती जनसंख्या का दबाव विश्व के सामने बहुत बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन से मौसम में काफी तेजी से बदलाव हो रहा है, इसी का कारण है कि वर्षा कम हो रही है और गर्मी लगातार बढ़ रही है। इसका सीधा प्रभाव खेती पर, जीव जंतुओं पर और मानव पर भी पड़ेगा।

कृषि मंत्री ने कहा हमारे देश की पापुलेशन लगातार बढ़ रही है। पीने का पानी केवल 3.5% है। विश्व की 17 से 18% पापुलेशन हमारे देश में है। हमें पानी पर्यावरण तथा पापुलेशन की चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। सभी का प्रयास होना चाहिए कि इन चुनौतियों से कैसे निपटा जाए। इसके लिए नए शोध करके इसका रास्ता निकालना पड़ेगा। वैज्ञानिक इस दिशा में प्रयास प्रारंभ करें। हमारी धरती जो बीमार हो गई है उसके उपचार की जरूरत है। जमीन के केमिकल फर्टिलाइजर तथा पेस्टिसाइड अधिक डालने के कारण पोषक तत्व तथा प्राकृतिक जीव धीरे-धीरे खत्म होते जा रहे हैं। इसलिए जरूरी है कि हम वैदिक खेती की तरफ बढ़े तथा जमीन के अंदर मौजूद जीव जंतुओं जो कि लाभकारी मृदा के लिए होते हैं उनको बचाया जा सके और कम खर्चे में अच्छी खेती की जा सके।

उन्होंने कहा कि जनसंख्या और किसानों की आए को ध्यान में रखते हुए हमें भविष्य में मल्टी लेयर फार्मिंग की आवश्यकता पड़ेगी। किसानों को चाहिए कि वह फल फूल तथा जैविक और प्राकृतिक खेती की तरफ बढ़े क्योंकि पश्चिम उत्तर प्रदेश के पास दिल्ली होने के कारण यहां जैविक एवं प्राकृतिक उत्पाद आसानी से बेची जा सकेंगे।0 उन्होंने सलाह दी कि गन्ने की फसल के साथ मक्का, उर्दू, मूंग के साथ फल फूल की खेती करनी चाहिए जिससे किसानों की आय को और अधिक बढ़ाया जा सके।

कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर के.के. सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि तकनीकी तथा विज्ञान का विकास में बहुत बड़ा योगदान रहा है। उन्होंने बताया कि जलवायु परिवर्तन के कारण तापमान बढ़ रहा है जो की एक चिंता का विषय है। साथ ही कार्बन फुटप्रिंट में भी एक चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि सभी लोगों को कोशिश करनी चाहिए की प्लास्टिक का काम से कम प्रयोग करें, पानी का संरक्षण करें तथा सत्र सस्टेनेबल डेवलपमेंट के लिए जो नियम है उनका अनुपालन होना चाहिए। देश में कोई भी भूखा ना रहे उनका स्वास्थ्य अच्छा हो इस पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। कुलपति के.के. सिंह ने बताया कि इसलिए ऐसी फसलों का उत्पादन प्रारंभ करना चाहिए जिसमें पानी की कम आवश्यकता हो।

कुलपति प्रोफेसर के. के सिंह ने कहा कि वर्ष 2050 तक 170 करोड लोगों को भरपूर भोजन उपलब्ध कराने के लिए 530 बिलियन टन खाद्यान्न का उत्पादन करना होगा। वर्तमान में हम 350 मिल्टन खाद्यान्न का उत्पादन कर रहे हैं। हम केमिकल तथा पेस्टिसाइड्स का बहुत अधिक उपयोग कर रहे हैं। इसको कम करना होगा और ईको फ्रेंडली खेती करनी होगी साथ-साथ बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक का उपयोग प्रारंभ करना होगा। खेत में एनर्जी के लिए सोलर एनर्जी की आवश्यकता होगी और हम सभी लोगों का प्रयास होना चाहिए कि कृषि के क्षेत्र में सोलर ग्रीन एनर्जी का अधिक से अधिक उपयोग हो।

केंद्रीय पशु अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉक्टर अशोक कुमार मोहंती ने अपने संबोधन में कहा कि देश की प्रोस्पेरिटी में कृषि तथा पशुपालन का बहुत महत्वपूर्ण योगदान है। अन्य देशों के मुकाबले में हमारे देश का उत्पादन बहुत कम है इसको बढ़ाने की आवश्यकता है। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि गाय दूध कम देती हैं इसलिए देसी गाय के दूध उत्पादन को बढ़ाने के लिए तकनीक का विकास करना होगा जिससे उनके उत्पादन को और अधिक पढ़ाया जा सके। उन्होंने कहा कि दुधारू पशु ऑन का प्रोडक्शन कैसे बड़े इसका प्रयास विज्ञान को तथा संस्थाओं को करना होगा।

सत्र में स्वागत भाषण अधिष्ठाता कृषि डॉक्टर विवेक धामा तथा कार्यक्रम का संचालन तथा धन्यवाद आयोजन सचिव प्रोफेसर डीबी सिंह द्वारा किया गया। दो दिवसीय इस राष्ट्रीय संगोष में नाबार्ड नई दिल्ली सीपीआई शिमला, आईआईएफएसआर मेरठ, सिजेंटा इंडिया लिमिटेड के डॉक्टर नवाब अली, एग्रीटेक मार्केटिंग लिमिटेड मुजफ्फरनगर के डॉक्टर विनीत बालियान तथा फ्यूचर कैंप प्राइवेट लिमिटेड नई दिल्ली का सहयोग रहा। इस अवसर पर कुल सचिव राम जी सिंह, निदेशक ट्रेंनिंग प्लेसमेंट प्रोफेसर आर. एस . सेंगर, अधिष्ठाता बायोटेक्नोलॉजी प्रोफेसर रविंद्र कुमार, अधिष्ठाता हॉर्टिकल्चर प्रोफेसर विजेंद सिंह, अधिष्ठाता टेक्नोलॉजी प्रोफेसर बी .आर सिंह, प्रोफेसर एच.एलसिंह, प्रोफेसर हेमसिंह, प्रोफेसर डीके सिंह, प्रोफेसर गजे सिंह, प्रोफेसर एल.बी सिंह, डॉक्टर देश.दीपक, डॉक्टर आर शैलजा कटोच तथा छात्र-छात्राओं एवं विभिन्न विभाग अध्यक्षों का महत्वपूर्ण योगदान रहा। इस संगोष्ठी में 360 छात्र-छात्राओं शिक्षकों एवं विज्ञानों ने अपने पंजीकरण कराए हैं।



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