कोरोना संक्रमण काल में हरिद्वार में घट गई एड्स के मरीजों की संख्या





नवीन चौहान
कोरोना संक्रमण काल में हरिद्वार में एड्स के मरीजों की संख्या घट गई है। गत तीन वर्षो की तुलना में साल 2020—21 में महज 39 मरीजों में एड्स के सामने आए। हालांकि काफी संख्या में मरीज अपना टेस्ट कराने से संकोच करते है। लेकिन जिला चिकित्सा प्रशासन एड्स के मरीजों की पहचान को बेहद ही गोपनीय रखता है। उनका नाम और पहचान को कभी सार्वजनिक नहीं किया जाता है। बताते चले कि एड्स एक ऐसी प्राणघातक बीमारी है। मानवीय प्रतिरक्षी अपूर्णता विषाणु (एचआईवी) संक्रमण के बाद होती है। एचआईवी संक्रमण के बाद मनुष्य के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता लगातार घटने लगती है। एड्स के मरीजों का शरीर बेहद कमजोर होने लगता है। एचआईवी संक्रमित व्यक्ति में एड्स की पहचान संभावित लक्षणों के दिखने के पश्चात ही हो पाती है।
कोरोना संक्रमण के प्रकोप के भारत में प्रवेश करते ही संपूर्ण देश में 23 मार्च को लाॅकडाउन कर दिया गया था। करीब दो माह तक लोगों को घर से निकलने पर भी पूर्ण प्रतिबंध था। कोरोना संक्रमण से जनता को सुरक्षित बचाकर रखने का सबसे बड़ा उपाय शारीरिक दूरी बनाकर रखना ही है। ​केंद्र सरकार की गाइड लाइन के मुताबिक 6 फीट या दो गज की दूरी की शर्त लागू कर दिया गया। जिसने इस शर्त का पालन किया उसे कोरोना संक्रमण नहीं हुआ। या ये कहे कि जो व्यक्ति घरों से कम निकला और कोरोना की गाइडलाइन का पालन किया वे बीमारी से बच गए। लेकिन हम बात हरिद्वार में एड्स के मरीजों की कर रहे तो उनकी संख्या में भी काफी गिरावट आई।

जिला क्षय रोग अधिकारी डाॅ अजय कुमार ने बताया कि इस साल में एड्स के कुल 39 मामले सामने आए, जबकि पिछले साल 90 मरीजों के मामले सामने आए।
पिछले तीन सालों के एड्स मरीजों के मामले —
वर्ष —- मरीज
2018-19 – 78
2019-20 – 90
2020-21 – 39

एड्स होने के कारण
एड्स एक एडवांस स्टेज है, जिसमें व्यक्ति का इम्यून सिस्टम (प्रतिरक्षा तंत्र) पूरी तरह खराब हो जाता है। इसके कारण रोगी के शरीर में ढेर सारी बीमारियां और इंफेक्शन होने शुरू हो जाते हैं, जो ठीक नहीं होते हैं। एड्स रोग एचआईवी वायरस के कारण होता है। यानी शुरुआत में व्यक्ति को एड्स नहीं, बल्कि एचआईवी होता है। सही समय पर एचआईवी का पता चलने पर अगर इलाज और दवाएं शुरू कर दी जाएं, तो व्यक्ति को एड्स के खतरे को कम किया जा सकता है। इलाज न मिलने पर एचआईवी वायरस एड्स का कारण बनते हैं और एड्स एक गंभीर स्थिति है क्योंकि इसका इलाज अब तक संभव नहीं हुआ है। आइए आपको बताते हैं कुछ शुरुआती लक्षण, जो दिखने में सामान्य हैं, मगर एड्स का संकेत हो सकते हैं। इन लक्षणों के दिखने पर आपको एड्स की जांच जरूर करवानी चाहिए।
एड्स के लक्षण और संकेत
एड्स होने पर पीड़ित के शरीर में कई लक्षण और संकेत दिखाई देते हैं। एड्स से व्‍यक्ति के शरीर में प्रतिरोधक क्षमता कम होने से संक्रमण, यानी आम सर्दी जुकाम से ले कर क्षय रोग जैसी बीमारियां आसानी व्‍यक्ति पर आक्रमण कर देती हैं। जिनका इलाज करना बहुत कठिन होता है।
एड्स की शुरुआती स्‍टेज में इसका पता नहीं चल पाता है और व्‍यक्ति को इलाज करवाने में देर हो जाती है। इसीलिए इसके शुरूआती लक्षणों के बारे में पता होना जरूरी है।
एड्स होने पर शरीर पर सूजन भरी गिल्टियां हो सकती हैं, खासकर यह दर्दरहित गिल्टियां गले, बगल या जांघों आदि में होती है।



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