नवीन चौहान, हरिद्वार। जीवनदायिनी मां गंगा की रक्षा के लिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भागीरथ के रूप में आये है। उन्होंने गंगा की रक्षा के लिये केंद्र सरकार के खजाने का मुंह खोल रखा है। हर पल-हर घंटे हर दिन गंगा को बचाने के लिये तेजी से कार्य किया जायेगा। प्रत्येक सात दिनों में कार्य की समीक्षा की जायेगी। इसी के साथ समाज के सभी जाति धर्म के लोगों को आगे आना होगा। गंगा को गंदा कराने वाले पर कानूनी शिकंजा कसने के लिये केंद्र सरकार ने एक मसौदा तैयार किया है। जल्द ही केबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद गंगा में कूड़ा डालना अपराध की श्रेणी में आ जायेगा।
नमामि गंगे परियोजना के तहत मंगलवार को एक भव्य समारोह के बीच केंद्रीय जल संसाधन ,नदी विकास एवं गंगा संरक्षण राज्य मंत्री डॉ सत्यपाल सिंह ने 34 विविध प्रकल्पों का शिलान्यास किया। जबकि दो प्रकल्पों का लोकार्पण किया गया। इन प्रकल्पों को पूरा करने में करीब 919 करोड़ का बजट रखा गया है। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुये उन्होंने कहा कि हम सबको उन अंध विश्वासों और कुरीतियों को छोड़ना होगा जो गंगा को लेकर सदियों से समाज में पैठ बनाये हुये है। उन्होंने कहा कि गंगा की पवित्रता का काम एक जनआंदोलन बनना चाहिये। इसके लिये समाज के सभी लोगों को अपनी चिंतन धारा को बदलने की जरूरत है। गंगा की पवित्रता को लेकर 1985 में काम तो शुरू हुआ लेकिन गति नहीं मिली। पीएम नरेंद्र मोदी ने कुर्सी पर बैठते ही गंगा मंत्रालय की घोषणा की और इसके लिये 20 हजार करोड़ की राशि स्वीकृत की। उन्होंने कहा कि पूर्वजों की अनुकंपा से नितिन गडगरी के नेतृत्व में गंगा की सेवा करने का कार्य उनको मिला है। अब ज्यादा समय नहीं है। एक-एक दिन महत्वपूर्ण है। उत्तराखंड को गंगा का उद्गम होने के नाते प्राथमिकता दी गई है। इसीलिये अफसरों को निर्देश दिये गये है कि शुरू किये गये प्रकल्पों की प्रगति का मूल्याकंन साप्ताहिक रूप से हो। और कार्यो को जल्दी से जल्दी पूर्ण किया जाये। उन्होंने कहा कि गंगा को अविरल, निर्मल और प्रदूषण मुक्त बनाने के लिये केंद्र सरकार शीघ्र ही एक विधेयक लाने वाली है। जिसमें दंड का प्रावधान होगा। ताकि गंगा की पवित्रता को नष्ट करने वाला बच ना पायें। उन्होंने कहा कि हरिद्वार की ये आवाज गंगा सागर तक सुनाई देनी चाहिये। श्री सिंह ने कहा कि साधु संतों की मुक्ति गंगा में प्रवाहित किये जाने से होती है। ऐसी मान्यता है। मगर ये एक अंधविश्वास है। किसी शास्त्र में नहीं लिखा कि मृत मनुष्य का शरीर गंगा अथवा किसी नदी में प्रवाहित किया जाये। उन्होंने कहा कि आज अमेरिका में 85 फीसदी ईसाई दाह संस्कार करने लगे है। साधु संत भी कुरीतियों को छोड़कर परिपाटी बदले और दाह संस्कार करें। उन्होंने कहा कि लंदन सहित अन्य स्थानों पर हमारी भारतीय उद्यमियों से वार्ता हुई है और उन्होंने स्वेच्छा से गंगा की स्वच्छता के कार्य में आर्थिक सहयोग करने का संकल्प लिया है। प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि गंगा के प्रदूषण के लिये औद्योगिक इकाइयों का अपशिष्ट शहरों का कूड़ा कचरा, किनारे बसे गांव की गंदगी तथा धार्मिक अंधविश्वास जिम्मेदार है। इसके लिये चिंतन की धारा को बदलने की जरूरत है। आज नरेंद्र मोदी के रूप में गंगा को भगीरथ मिल गया है। राजनैतिक इच्छा शक्ति और समाज की इच्छा शक्ति एक दिशा में सोच रही है। केवल समाज को सरकार द्वारा शुरू किये गये कार्यो के साथ खड़ा होना है। परिणाम निश्चित रूप से अच्छा आयेगा। इस अवसर पर वित्त मंत्री प्रकाश पंत, नगर विकास मंत्री मदन कौशिक, मेयर मनोज गर्ग, विधायक सुरेश राठौर, स्वामी यतीश्वरानंद, संजय गुप्ता, भाजपा जिलाध्यक्ष जयपाल सिंह चौहान सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित थे।