नवीन चौहान,
हरिद्वार। अखाड़ों की राजनीति में जिस संत का दबदबा रहा करता था वह संत आज बुरी तरह से बौखलाया हुआ है। उस संत की आवाज का कड़कपन गायब हो गया है। उसकी याददास्त भी कमजोर पड़ गई है। आखिरकार किस वजह से ये सब हुआ ये बात पूरी तरह से रहस्यमयी बनी हुई है। पूरे विवाद के पीछे एक इंस्टीटयूट की करोड़ों की संपत्ति को लेकर है। पत्रकारों के पूछने पर ये संत ये भी नहीं बता पाया कि चैक कब और कैसे काटे गये।
संत का नाम सुनते ही सभी भारतीय के मस्तिष्क में गेरूअे वस्त्रों में एक साधू की छवि घूमने लगती है। लेकिन बदलते वक्त ने संतों को कारोबारी बना दिया है। संत आलीशान आश्रमों में रहकर लाखों की कीमत की एअर कंडीशन गाड़ियों में घूमते दिखाई पड़ते है। ऐसे ही हरिद्वार के एक संत रामानंद पुरी जी महाराज का कभी दबदबा हुआ करता था। उनके मुंह से निकली हुई आवाज बहुत तेजी से प्रचारित होती है। वही संत रामानंद पुरी आजकल विवादों में घिरे है। कभी वह खुद के अपहरण होने की बात करते है। तो कभी वह किसी धोखे का शिकार होने की बात करते है। इन्ही विवादों के प्रकरण में मंगलवार को प्रेस क्लब प्रांगण में पत्रकारों से वार्ता करने पहुंचे संत रामांनद पुरी पत्रकारों के सवालों में पूरी तरह से उलझकर रह गये। आये तो थे अपनी बात कहने लेकिन खुद ही सब कुछ भूल गये। पत्रकारों ने उनके द्वारा काटे गये लाखों के चैक के संबंध में पूछा तो उनकी याददास्त तक जबाव दे गई। आखिरकार इन सबके पीछे संत रामानंद पुरी की कौन सी मजबूरी है जो वो किसी से बता नहीं पा रहे है। सवाल उठता है कि क्या वास्तव में संत रामानंद पुरी मुसीबत में है या किसी बड़ी साजिश का शिकार बन रहे है। उनकी ये हालत किस प्रकार हो गई। इस सवाल का जबाव हरकोई जानना चाहता है।
हिसाब करने वाले दूसरे लोग
संत रामानंद पुरी से जब से पूछा गया कि महाराज पूरा दिन करोड़ों का हिसाब ही रखते हो या पूजा पाठ भी करते हो। तो संत रामानंद पुरी ने बताया कि वह सुबह 11 बजे तक पूजा करते है। उन्होंने कहा कि हिसाब किताब रखने वाले दूसरे लोग है। ये बात उस संत रामानंद पुरी ने कही है जो खुद लाखों के चैक काटकर भूल गये कि चैक दिये किसको है।