आशु शर्मा
हरिद्वार। प्रदेश के शिक्षामंत्री अरविन्द पाण्डेय शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने का दम्भ भरते है। निजी स्कूलों के लिए रोजाना नए फरमान जारी करते है। प्रदेश में शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए बड़े-बड़े दावे करते हैं लेकिन उनके तमाम दावों की पोल हरिद्वार का एक सरकारी स्कूल खोल रहा है। इस स्कूल के बच्चे सड़क पर बैठकर शिक्षा ग्रहण कर रहे है। शिक्षक हाथों में किताबों की जगह टाट पटटी लेकर घूम रहे हैं। इससे आप खुद ही अंदाजा लगा सकते हैं कि सरकारी स्कूल की क्या स्थिति है।
उत्तराखण्ड में शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए सबसे तेज कार्य शिक्षामंत्री अरविन्द पाण्डेय ने किया है। उन्होने मंत्रालय संभालने के बाद से ही निजी स्कूलों की मनमानी को रोकने और सरकारी स्कूलों की दशा को सुधारना अपनी प्राथमिकता में शुमार किया। उन्होने सरकारी स्कूल के शिक्षकों की ड्रेस और तमाम नियमां को सख्त कर दिया। इसके अलावा उन्होने देहरादून के सरकारी स्कूलों में जाकर अध्यापकों की क्लास ली। शिक्षामंत्री के ये तमाम कार्य खबरों की सुर्खियां तो बने लेकिन हकीकत में सरकारी स्कूलों में कोई सुधार नहीं हुआ। हरिद्वार के कनखल क्षेत्र में स्थित प्राथमिक विद्यालय नम्बर 23 शिक्षामंत्री को इन दावों की पोल खोल रहा है इस सरकारी स्कूल का भवन जर्जर है किराये के निजी बिल्डिंग में स्कूल को संचालित किया जा रहा है। इस निजी बिल्डिंग में मकान मालिक ने ताला जड़ दिया। दीपावली की छुटिटयों के बाद जब स्कूल खुला तो सभी बच्चों ने स्कूल के बाहर सड़क पर शिक्षा ग्रहण की। अध्यापक हाथों में टाट पटटी लेकर आये। बच्चों को मिड डे मील की भी कोई व्यवस्था नहीं हो पाई। बच्चों ने भूखे पेट ही शिक्षा ग्रहण की जब इस सम्बन्ध में स्कूल की प्रधानाचार्य उषा रावत से बात की तो उन्होनें बताया कि मकान मालिक ने ताला जड़ दिया है जिसके चलते सड़क पर पढ़ाया गया है। सिटी मजिस्ट्रेट मनीष कुमार ने बताया कि पूरा प्रकरण संज्ञान में आया है नगर निगम से बात कर हल निकाला जायेगा।