हरिद्वार में अजब सा माहौल, बच्ची की मौत पर सियायत गरमाई




नवीन चौहान
हरिद्वार में अजब सा माहौल है। मासूम बच्ची की दर्दनाक मौत के बाद तमाम राजनैतिक दल उग्र हो चुके है। पीड़ितों को इंसाफ दिलाने का आश्वासन देने के लिए घर पहुंच रहे है। राजनैतिक दलों के नेतृत्व में तमाम राजनैतिक, सामाजिक संगठन कैंडिल मार्च निकाल रहे है। यातायात बाधित कर रहे है। पुलिस इन तमाम चुनौतियों के बीच फरार अपराधी की धरपकड़ में जुटी है। पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार के निर्देशन पर डीआईजी गढ़वाल रेंज नीरू गर्ग ने एसएसपी सेंथिल अबुदई कृष्णराज एस के साथ मीटिंग करने के बाद हरिद्वार में ही डेरा जमा लिया। पुलिस अपराधी को सलाखों के पीछे पहुंचाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। लेकिन इस पूरे प्रकरण में एक अजीब सा चकित करने वाला वातावरण बनाकर रख दिया है। जिसमें कहीं ना कहीं शांति व्यवस्था भंग होती दिखाई पड़ रही है। जबकि ऐसे हालात में किसी भी राजनैतिक दलों के जनप्रतिनिधियों को जनता से शांति व्यवस्था बनाये रखने की अपील करनी चाहिए थी। लेकिन यह कार्य भी पुलिस ने ही किया।
घटनाक्रम के मुताबिक हरिद्वार में 20 दिसंबर 2020 को एक 11 साल की मासूम संदिग्ध परिस्थितियों में लापता हो गई। जिसके बाद रात्रि करीब साढ़े नौ बजे मासूम का शव पड़ोस के ही एक घर की दूसरी मंजिम में कपड़े की अलमारी से मिला। मासूम की दुष्कर्म के बाद गला दबाकर हत्या की गई थी। इस प्रकरण में एसपी सिटी कमलेश उपाध्याय व एएसपी सीओ सिटी विशाखा भदाणे व नगर कोतवाली प्रभारी अमरजीत सिंह ने तत्परता दिखाते हुए मुख्य आरोपी रामतीर्थ यादव उम्र 22 साल पुत्र हृदय यादव निवासी न्यू हरिद्वार को मौके से गिरफ्तार कर लिया। इस प्रकरण में भवन मालिक कथित मामा राजीव मौके से भाग निकलने में सफल रहा। हालांकि घटना के दौरान पीड़ित परिवार के बीच में ग्रामीण विधायक स्वामी यतीश्वरानंद और कांग्रेस के पूर्व पालिकाध्यक्ष सतपाल ब्रहृमचारी मौजूद रहे। बालिका की मौत के बाद पीड़ित परिवार के दुख में समूचा हरिद्वार शोकाकुल हो गया। हरिद्वार के समस्त नागरिक फरार अपराधी की गिरफ्तारी की मांग करने लगे। नगर विधायक मदन कौशिक के पीड़ित परिवार के बीच में ना होने को लेकर जनता आक्रोषित होने लगी।
सियासी घटनाक्रम
बालिका की मौत के 48 घंटे बाद रात्रि करीब आठ बजे केबिनेट मंत्री मदन कौशिक पीड़ित परिजनों के घर पहुंचे और पीड़ित परिवार को सांत्वना दी। मदन कौशिक ने इस प्रकरण को फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाकर आरोपियों को फांसी दिलाने का आश्वासन पीड़ित परिजनों को दिया।
घटना के 72 घंटे बाद पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत रात्रि करीब आठ बजे पीड़ित परिवार के बीच पहूंचे। उन्होंने अपने अंदाज में पीड़ितों का दर्द बांटा और मीडिया को बयां जारी करके सरकार की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगा दिया। हरीश रावत ने अनशन तक करने की चेतावनी दे दी।
पुलिस के खिलाफ नारेबारी
इस प्रकरण में फरार अपराधी की गिरफ्तारी के लिए हरसंभव प्रयास कर रही पुलिस ही जनता के निशाने पर रही। जनता ने पुलिस के खिलाफ ही नारेबाजी शुरू कर दी। पुलिस अपनी आलोचना को सहन करते हुए फरार अपराधी की गिरफ्तारी के लिए योजना बनाती रही। पुलिस कैंडिल मार्च निकालने और नेताओं की सुरक्षा में तैनात भी रही।
कुल मिलाकर कहा जाए तो पीड़ितों को इंसाफ दिलाने का कार्य पुलिस का है। पुलिस अपने स्तर पर अथक प्रयास कर रही है। हरिद्वार पुलिस की नहीं अपितु समूचे उत्तराखंड की पुलिस इस घटना से बेहद आहत है। ऐसे में पुलिस का मनोबल बढ़ाने की जरूरत है। पुलिस ही इस केस में निष्पक्षता से विवेचना करेगी। और अपराधियों को सजा दिलायेंगी।

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