युवतियों के कब्जें में हरिद्वार के संतों की कुण्डली




महेश पारीक
हरिद्वार। जर, जोरू और जमीन को सभी फसादों की जड़ बताया गया है। जर, जोरू और जमीन के कारण बड़े-बड़े युद्ध तक लड़े गए। महाभारत व राम-रावण युद्ध भी इन्हीं की देन थी। प्राचीन काल से चली आ रही यह अवधारण आज भी सही है। आज भी जर, जोरू और जमीन को लेकर फसाद का सिलसिला जारी है। यहां तक की स्वंय को त्यागी कहने वाले व संसार बंधनों से मुक्त होने का दावा करने वाले भी इनकी गिरफ्त में पूरी तरह से हैं।
जी हां यहां त्यागी और संसार बंधनों से मुक्त होने वालों से तात्पर्य हरिद्वार के कुछ कथित संतो से है। जो कथित जोरू के चक्कर में पड़कर अपनी कुण्डली उनके हाथों में दे चुके हैं और कुण्डली देने के बाद उनके इशारों पर नाचने के लिए विवश हैं।
सूत्र बताते हैं कि दो महिलाएं जो एक आश्रमनुमा मंदिर में रहती हैं, वह लोगों के साथ खासकर संतों का दिल बहलाने का कार्य करती हैं। स्वंय को वरिष्ठ व उच्च कहने वाले कई संत इनके मोह पाश में फंसे हैं। इसी के चलते एक अखाड़े के कुछ संतों ने आश्रमनुमा मंदिर पर पूर्व में अपना कब्जा करने की कोशिश की जिसमें युवतियां निवास करती है, किन्तु कब्जा करने की बात तो दूर दोनों युवतियों के रूप को देखकर संत उनके समक्ष नतमस्तक हो गए। जब कथित संतों ने युवतियों के साथ अय्याशी करने के बाद उन्हें आश्रम से बेदखल करने की सोची तो युवतियों का रूप देखकर संतों के पैरों की जमीन खिसक गई। संतों के साथ अपनी लम्बे समय से चली आ रही रासलीला को युवतियों ने संतों को दिखा दिया, जो उन्होंने काफी समय पूर्व कैमरे में कैद कर ली थी। युवतियों के साथ अपनी रासलीला का मंजर देख संतों के होश फाख्ता हो गए और बिना किसी बात के कब्जा करने आए संत बैरंग लौट गए। सूत्र बताते हैं कि उक्त युवतियों के पास रासलीला मनाने के लिए कई संत सुबह-शाम जाते हैं। सूत्रों के अनुसार कैमरे में कैद संतों की रासलीला में कई दिग्गज भी शामिल हैं। अपनी रासलीला को कैमरे में कैद हुआ देखने के बाद संतों की जुबान पर ताला लग चुका है। इस रासलीला के कारण ही स्वंय को तीर्थनगरी का सबसे अधिक बुद्धिमान समझने वाला एक संत आज पैदल हो चुका है। यदि संतों की रासलीला की कुण्डली सामने आ जाती है तो कई और
दिग्गज पैदल हो जाएंगे।



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