हरिद्वार। श्री दक्षिण काली पीठाधीश्वर महामण्डलेश्वर श्री कैलाशानंद ब्रह्मचारी जी महाराज ने कहा है कि शक्ति पीठ पर शक्ति उपासना करने से सर्वार्थ सिद्धि का योग बनता है और मां के नौ स्वरूपों की जो भक्त अनवरत विधानपूर्वक पूजा अर्चना करता है उसका जीवन सुखद एवं समृद्धिशाली बन जाता है वे आज पतित पावनी मां गंगा के नीलधारा तट पर स्थित अनादि सिद्धपीठ श्री दक्षिण काली मंदिर में घट स्थापना के अवसर पर पधारे भक्तों को शक्ति उपासना का महत्व बतला रहे थे।
दस महाविद्याओं में प्रथम मां दक्षिण काली को कलियुग की कल्याणकारिणी शक्ति बताते हुए कहा कि मां काली की पूजा अर्चना साधक के काल के प्रभाव को भी बदल देती है और मां के भक्त का यदि कोई बुरा सोचता है तो उसका स्वयं ही पतन हो जाता है और कहीं भी उसकी फरियाद की सुनवाई नहीं होती है। मां के सेवक को समस्त प्रकार की चिन्ताओं से मुक्त होकर भक्ति में लीन रहने की सलाह देते हुए उन्होंने कहा कि जो भक्त स्वयं को मां की शरण में समर्पित कर देता है मां सभी प्रकार से उसकी रक्षा करती है।
शारदीय नवरात्र को तंत्र साधना के लिए सर्वोत्तम पर्व बताते हुए उन्होंने बताया कि श्री दक्षिण काली मंदिर पर दोनों प्रकट नवरात्र 15 दिन के होते हैं तथा चैदह दिन तक मां का शयन नहीं होता और 24 घंटे मां का दरबार खुला रहता है। मां के स्वरूप का वर्णन करते हुए उन्होंने बताया कि प्रातःकाल मां बालरूप में दर्शन देती है तो मध्यान्ह में युवा शक्ति केे रूप में दर्शन होता है और जैसे-जैसे भगवान सूर्य अस्तांचल की ओर जाते हैं मां भी प्रौढ़ावस्था को पार करती नजर आती है। मां की शक्ति एवं साधना के भलीभूत होने का प्रमाण बताते हुए उन्होंने कहा कि कनखल स्थित आद्यशक्ति महाकाली सिद्ध आश्रम में भी मां की सेवा का दायित्व स्वयं मां के आदेश पर उन्हें सौंपा गया है और इस शारदीय नवरात्र में मां के दोनों दरबारों में शक्ति उपासना का अनुष्ठान एक साथ चलेगा।