हॉस्टल में रहकर पढ़ाई कर रही 18 साल की लड़की गर्भवती, मेडिकल स्टोर से लेकर खाई एर्बासन किट





दीपक चौहान
प्रेमी ने 18 साल की लड़की ​को किया प्रेगनेंट कर दिया। करीब ढाई माह की प्रेगनेंट होने की जानकारी लड़की के प्रेमी को लगी तो वह फरार हो गया और मोबाइल स्विच बंद कर दिया। जिसके बाद गर्भवती लड़की ने यह बात अपनी सहेली को बताई। सहेली ने मेडिकल स्टोर से एर्बासन किट लाकर लड़की को खिला दी। लड़की को अत्यधिक रक्तस्राव हुआ तो आनन—फानन में एक निजी अस्पताल लेकर पहुंची। जहां ​महिला चिकित्सक ने लड़की की हालत नाजुक बताकर एर्बासन करने की बात कही। मामला देहरादून का है। लड़की पीजी में रहकर पढ़ाई कर रही है। फिलहाल गर्भवती लड़की के परिजनों को जानकारी में मामला पहुंच चुका है। बेटी की जिंदगी को खतरे में देख अभिभावकों ने महिला चिकित्सक की देखरेख में सुरक्षित एर्बासन करा दिया गया है।
शुक्रवार को देहरादून के एक निजी अस्पताल में एक 18 साल की लड़की बदहवास हालत में पहुंची। लड़की की सहेली ने पेट में दर्द तथा रक्तस्राव होना बताया। जब महिला चिकित्सक ने परीक्षण किया तो करीब ढाई माह की गर्भवती होना बताया। जिसके बाद लड़की ने रोते बिलखते पूरी सच्चाई महिला चिकित्सक को बता दी। लड़की ने बताया कि उसका प्रेमी उसको छोड़कर चला गया तथा उसका मोबाइल बंद आ रहा है। जिसके चलते उसने सहेली से दवाई मंगाकर खा ली। चिकित्सक ने बताया कि उसकी हालत बेहद नाजुक है। परिजनों को बताया पड़ेगा। आपकी जिंदगी को खतरा है। एर्बासन करना पड़ेगा। लड़की मां बाप को बताने के लिए इंकार करती रही। आखिरकार किसी तरह से लड़की की जिंदगी पर खतरा होने की बात कहकर परिजनों को बुलाने पर राजी किया। महिला चिकित्सक को लड़की पर तरस आ गया। उसको अपनी गलती का पछतावा भी हो रहा था। जिसके बाद महिला चिकित्सक ने उसका एबार्सन किया और उसकी जिंदगी को सुरक्षित बचाने में कामयाबी हासिल की।
नोट
इस समाचार को लिखने का उददेश्य अभिभावकों को जागरूक करना है। ताकि आप अपने कार्यो में इतने व्यस्त ना हो कि अपनी बेटियों को हॉस्टल भेजने के बाद देखने तक का समय ना निकाल सके। आप बेटियों की सहेलियों और पीजी मालिक से लगातार संपर्क बनाए रखे। बेटी के हॉस्टल से आने और जाने की जानकारी ले। आधुनिकता की होड़ और युवा अवस्था में बेटियों के भटकने की संभावना अधिक रहती है। ऐसे में अभिभावकों को अपने बच्चों के लिए समय निकालना भी उतना ही जरूरी है। जितना उनका काम जरूरी है।



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