इंजीनियरिंग छोड़कर बने आईपीएस और हरिद्वार में दिखाई काबलियत





नवीन चौहान
इंजीनियरिंग छोड़कर आईपीएस बने आयुष अग्रवाल ने हरिद्वार में अपनी काबिलियत का लोहा मनवा दिया। आईपीएस अफसर आयुष अग्रवाल ने करीब दो साल हरिद्वार की जनता को सुरक्षित वातावरण देने में कर्तव्यनिष्ठा का फर्ज निभाया। जनता को सुरक्षा का भाव दिया। कोरोना काल में हरिद्वार की जनता की सेवा की। यहां की यातायात व्यवस्था को बेहतर बनाने में महती भूमिका अदा की। अपराधियों को सलाखों के पीछे भेजने में कुशल नेतृत्व और निर्देशन दिया। हरिद्वार के एसएसपी सेंथिल अबुदई कृष्णराज एस, साथी अफसरों, पुलिस अधिकारियों, कर्मचारियों और हरिद्वार की जनता से मिलने वाले प्रेम से आईपीएस आयुष अग्रवाल अभिभूत नजर आए। रूद्रप्रयाग के एसपी बनाये जाने के बाद आयुष अग्रवाल ने हरिद्वार की जनता को धन्यवाद दिया। उन्होंने न्यूज127 से बातचीत के दौरान कहा कि हरिद्वार की जनता के सहयोग के बिना कुछ भी कर पाना संभव नहीं था। जनता के सहयोग से ही पुलिस अपनी जिम्मेदारी को ठीक तरीके से निभा पाती है। पुलिस और जनता के बीच मित्रवत संबंध ही कानून व्यवस्था की सबसे बड़ी कड़ी है।
मूल रूप से उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद निवासी आयुष अग्रवाल साल 2016 बैंच के उत्तराखंड कैडर के आईपीएस अफसर है। आईपीएस की ट्रैनिंग पूरी करने के बाद सबसे पहले अंडर ट्रैनी एएसपी के रूप में दिसंबर साल 2017 में उनको उधमसिंह नगर जनपद में कार्य करने का अवसर मिला। उधमसिंह नगर में कार्य करने के दौरान पुलिस के वास्तविक कार्यों को नजदीक से सीखा। पुलिसकर्मियों की समाज में भूमिका और वर्दी के फर्ज की गहनता को महसूस किया। करीब सात माह तक उधमसिंहनगर जनपद में अपने व्यवहार से जनता के बीच में लोकप्रियता हासिल की। इसके बाद कुछ महीनों प्रशिक्षण अवधि में गुजारे। नया साल में एक जनवरी 2019 को पुलिस मुख्यालय से उनको हरिद्वार जनपद भेज गया। हरिद्वार पहुंचने पर आयुष अग्रवाल को एएसपी सदर के पद पर कार्य करने का अवसर मिला। बतौर एएसपी सदर आयुष अग्रवाल ने हरिद्वार के संवेदनशील ग्रामीण क्षेत्रों में कानून व्यवस्था को सुदृढ़ बनाकर रखने में अपना योगदान दिया। इसी के साथ एक जनवरी 2020 को आईपीएस आयुष अग्रवाल को एसपी क्राइम और एसपी यातायात की जिम्मेदारी सौंप दी गई। इन दोनों ही पदों पर कार्य करना उनके लिए बेहद चुनौतीपूर्ण रहा। हरिद्वार में वीवीआईपी, वीआईपी दौरों को सकुशल संपन्न कराना। कांवड़ यात्रा व अन्य स्नान पर्व में यातायात व्यवस्था को सुचारू बनाए रखना। हरिद्वार के हाईवे निर्माण कार्यो के दौरान और शहर के भीतर के सड़कों की खस्ता हालत के बीच यातायात व्यवस्था के लिए अभिनव प्रयोग करना आईपीएस आयुष अग्रवाल की खूबी रहा। वही अपराधियों को पकड़ने की बात करें तो हरिद्वार के एसपी क्राइम आयुष अग्रवाल ने शिवालिक नगर के डबल मर्डर केस, नगर कोतवाली क्षेत्र में 11 साल की मासूम बालिका के रेप मर्डर केस और तमाम अन्य आपराधिक घटनाओं के खुलासे में अपनी काबलियत को दर्शाया। आईपीएस आयुष अग्रवाल की सबसे बड़ी खास बात रही कि वह हमेशा अपनी जिम्मेदारी पर सजग दिखाई दिए। रात्रि में हाइवे पर यातायात व्यवस्था का निरीक्षण करना और पुलिसकर्मियों को दिशा निर्देश देते दिखाई दिए। हालांकि इस दौरान आयुष अग्रवाल को एसपी कुंभ की जिम्मेदारी भी दे दी गई। आयुष अग्रवाल अपनी जिम्मेदारी पर मुस्तैद दिखाई दिए। उन्होंने ईमानदारी से कार्य करने और पुलिसकर्मियों को निर्देशित करने में आक्रामक तेवर नहीं दिखाए। आईपीएस आयुष अग्रवाल ने हरिद्वार में अपने दो साल के कार्यकाल को पुलिस अनुभव के तौर पर सबसे ज्यादा उपयोगी माना है। उन्होंने कहा कि हरिद्वार में पुलिस को सीखने और कुछ नया करने के लिए बहुत कुछ है। लेकिन यह सब तभी संभव है। जब पुलिस का जनता से मधुर संबंध है।

आईपीएस आयुष अग्रवाल को विदाई देते हुए पुलिस अधिकारी

आयुष अग्रवाल का एक परिचय
मूल रूप से उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद निवासी आयुष अग्रवाल के पिता श्री प्रकाश चंद्र अग्रवाल बैंक आफ बडौदा में प्रबंधक रहे हैं। जबकि माता कुशल गृहणी है। माता—पिता के संस्कारों ने एक सर्वश्रेष्ठ इंसान बनने के सभी गुर दिए। माता—पिता के संस्कार और उनके आशीर्वाद से प्रेरणा लेकर आयुष अग्रवाल ने कानपुर आईआईटी से बीटेक और एमटेक की शिक्षा हासिल की। मैकेनिकल इंजीनियर बनने के बाद करीब तीन चार साल आयुष अग्रवाल ने कॉरपोरेट सेक्टर में नौकरी की। लेकिन आयुष अग्रवाल का मन नौकरी में नहीं लगा। उन्होंने सिविल सर्विसेज में जाने की ठान ली। जिसके बाद साल 2016 में अपने पहले की प्रयास में सिविल सर्विसेज की परीक्षा पास की। जिसके बाद उनका चयन आईपीएस में हुआ और उत्तराखंड कैडर मिला। फिलहाल उनको रूद्रप्रयाग के पुलिस अधीक्षक पद की जिम्मेदारी दी गई है।



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