नवीन चौहान.
हरिद्वार। न्यू देवभूमि अस्पताल पर डिलीवरी करने के बाद आयुष्मान कार्ड नहीं लेने का जो आरोप मरीज के तीमारदारों ने लगाया वह सही नहीं पाया गया। जबकि मरीज के इलाज में जो बिल बना उसमें भी अस्पताल प्रबंधन ने पांच हजार की रकम की छूट दी। प्रबंधन का कहना है कि मरीज को भर्ती कराते समय यही बताया गया था कि आयुष्मान कार्ड नहीं है।
अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि डिलीवरी होने के बाद जच्चा बच्चा के सकुशल होने के बाद बिल का भुगतान भी किया। लेकिन बाद में आरोप लगाया गया कि अस्पताल प्रबंधन ने मरीज का आयुष्मान कार्ड नहीं लिया।
न्यू देवभूमि अस्पताल के चेयरमैन डॉ. सुशील शर्मा ने बताया कि संगीता पंवार पत्नी प्रमोद पंवार निवासी श्यामपुर गैंडीखाता 24 अक्टूबर रविवार को देवभूमि अस्पताल में डिलीवरी कराने पहुंची। रविवार को दिन होने के चलते अस्पताल प्रबंधन ने इमरजेंसी में संगीता को भर्ती किया और वरिष्ठ महिला चिकित्सक डॉ. दीपा शर्मा को बुलाया।
संगीता विगत नौ महीने से देवभूमि अस्पताल में ही अपना इलाज और रूटीन चैकअप करा रही है। जिसके बाद संगीता का बेहतर तरीके से इलाज किया गया। आप्रेशन के बाद संगीता की डिलीवरी हुई और बच्चे की हालात नाजुक होने के चलते एनआईसीयू में रखा गया। जिसके बाद 27 अक्टूबर को मां और बच्चे को स्वस्थ हालत में अस्पताल से घर भेज दिया गया। प्रमोद पंवार ने एक चिकित्सक से फोन पर बात कराने के बाद पांच हजार की राशि बिल में कम की गई।
डॉ. सुशील शर्मा ने बताया कि मरीज ने आयुष्मान कार्ड का कोई जिक्र नहीं किया। ऐसे में अस्पताल की छवि को धूमिल करने का प्रयास किया जा रहा है। जबकि अस्पताल गरीबों का मुफ्त में इलाज करता रहा है।
जब इस संबंध में प्रमोद पंवार से बात करने का प्रयास किया गया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया। कई बार फोन करने के बाद भी बात नहीं हो पाई। हालांकि अस्पताल प्रबंधन की ओर से आयुष्मान कार्ड नहीं होने का हस्ताक्षरयुक्त प्रमोद पंवार का पत्र दिखाया गया है।