उत्तराखंड में सतपाल महाराज, धन सिंह और त्रिवेंद्र के नामों के अलावा, कुछ और नाम





नवीन चौहान
उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री के नाम को लेकर आसमान में घिरे बादल कुछ देर बाद साफ हो जायेंगे। प्रदेश को एक नया मुख्यमंत्री मिलेगा। हालांकि विधायकों के बीच में से ही एक नाम मुख्यमंत्री को होगा। भाजपा के पर्यवेक्षक और प्रभारी देहरादून पहुंच चुके है। विधायक मंडल की बैठक में मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा होगी। इन सबके बीच मीडिया के कयासों का दौर जारी है। सूत्रों के हवाले के खबरे भी छन—छनकर खूब आ रही है। उत्तराखंड की माफिया लॉबी भी सक्रिय है। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की ईमानदारी को दरकिनार कर विधायकों को संतुष्ट करने का खामियाजा भाजपा हाईकमान अपनी खूब फजीहत कराकर चुका रहा है। नेतृत्व परिवर्तन का एक गलत निर्णय को सुधारना भाजपा हाईकमान के लिए बेहद ही चुनौतीपूर्ण हो रहा है। साल 2022 में इसके परिणामों पर नेतृत्व परिवर्तन का असर साफ दिखाई देगा। हालांकि भाजपा हाईकमान के पास अपनी भूल सुधार करने और ईमानदार मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को उनका सम्मान लौटाकर साल 2022 में त्रिवेंद्र जरूरी के फार्मूला ही सबसे बेहतर दिखाई पड़ रहा है। त्रिवेंद्र का अनुभव और 100 दिन सरकार से बाहर रहने के बाद उनका बदला हुआ व्यवहार भाजपा को सत्ता दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। हालांकि फैसला हाईकमान का है। विधानमंडल की बैठक तो महज एक औपचारिकता भर है।
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के बाद नए मुख्यमंत्री में सबसे पहला नाम सतपाल महाराज का चल रहा है। उसके बाद धन सिंह रावत और त्रिवेंद्र सिंह रावत के नाम है। लेकिन मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में विशन सिंह चुफाल, यशपाल आर्य, हरक सिंह रावत, पुष्कर धामी, स्वामी यतीश्वरानंद के नाम भी चर्चाओं में आए है। मुख्यमंत्री बनने की इच्छा सभी की हिलौरे मार रही है। लेकिन अगर कोई एक विधायक इस पूरे घटनाक्रम में शांतचित्त नजर आया तो वह त्रिवेंद्र सिंह रावत है।
त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मुख्यमंत्री बनने के लिए कोई जोर आजमाइश नही की। तीरथ सिंह रावत के इस्तीफे के बाद उपजे इस पूरे घटनाक्रम के बीच वह अपने घर और जनता की सेवा के नियमित कार्यो में लगे रहे। जनता की समस्याओं को दूर करने का प्रयास करते रहे। भाजपा संगठन के एक निष्ठावान कार्यकर्ता की तरह ही सकारात्मक ऊर्जा के साथ जनसेवा में जुटे है। वही दूसरी ओर सतपाल महाराज कैंप में जबरदस्त उत्साह है। मानों ताजपोशी की रस्म पूरी करने की कवायद चल रही हो। अगर धन सिंह रावत की बात करें तो वह भाजपा संगठन और संघ में मजबूत पकड़ रखते है। उनकी कार्यशैली और काम करने का अंदाज निराला है। धन सिंह रावत की इच्छा भी मुख्यमंत्री बनने की बलबती है। लेकिन सतपाल के नाम पर उनका मौन है। ऐसे में अब नया मुख्यमंत्री कौन बनेगा। किसके सिर पर ताज सजेगा। राजयोग का आनंद कौन लेगा। भाजपा हाईकमान के विश्वास को जीतने में जीतने में कौन कामयाब होगा। या फिर त्रिवेंद्र सिंह रावत की ईमानदारी हाईकमान के दिल को जीतने में सफल होगी। फिलहाल तो सबकुछ बंद कमरों के बीच की बाते है। लेकिन उत्तराखंड अपने नए मुख्यमंत्री के स्वागत के लिए तैयार है।



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