भाजपा में नेताजी के चरण स्पर्श करने वालों की भरमार, जनता में नही जनाधार





दीपक चौहान
लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियों में जुटी भाजपा के लिए हरिद्वार सीट पर मुकाबला कांटे का होने वाला है। भाजपा को बेरोजगारी, महंगाई, पलायन, अतिक्रमण, भ्रष्टाचार और लव जिहाद के मुददों पर जनता के सवालों का सामना करना है। लेकिन सबसे बड़ी अहम बात यह है कि भाजपा में जनाधार वाले कार्यकर्ताओं की कमी साफ देखी जा सकती है। वही भाजपा के तमाम अनुसांगिक संगठनों में ऐसे लोगों को बार्ड और मौहल्ले की कमान दी है, जिनकी पहचान बड़े नेताओं के आसपास मंडराने तक सीमित है। जो खुद नेताजी के चरण स्पर्श करने और फूल देकर फोटो खिचाने तक सीमित है।
भाजपा हाईकमान ने लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर कमर कस ली है। भाजपा की ताकत जिला कार्यकारिणी, मंडल, दर्जनों प्रकोष्ठ,बार्ड, बूथ के बाद, शक्ति दल व पन्ना प्रमुखों की फौज में निहित है। भाजपा लीडर इस फौज को अपनी सांगठनिक शक्ति के रूप में घर घर इस्तेमाल कर रहे है। भाजपा चाहती है कि शहर हो या गांव, कालोनी या मौहल्ले में हर घर पर भाजपा का झंडा हो। इसी के चलते भाजपा के तमाम दर्जनों अनुसांगिक संगठनों के कार्यकर्ताओं की फेहरिस्त उनको समायोजित करने के लिए बनाई गई है। यही कारण है कि भाजपा कार्यकर्ताओं को बाकायदा स्कूल होमवर्क की तरह अपने दिन की बैठक के आयोजन की जिम्मेदारी और जनसंपर्क का कार्य सौंप दिया जाता है। चुनाव प्रचार करने और जनता को आकर्षित करने के मंत्र दिए जाते है।
लेकिन गौर करने वाली बात यह है कि भाजपा के बड़े ने
ताओं के बैठकों में जिन कार्यकर्ताओं को बुलाया जाता है। उनका समाज में कितना प्रभाव है। उनके ही मौहल्ले के लोग उनको देखना गंवारा नही करते। भाजपा के नेताओं की सरपस्ती में लोगों को धमकाना और हेकड़ी दिखाने के रूप में बनी उनकी पहचान जनता के प्रति विश्वास को कही ना कही खोती हुई भी दिखाई पड़ती है। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुहिम को पलीता लगता हुआ प्रतीत होता है। फिलहाल तो भाजपा अपने केंद्र और प्रदेश की सत्ता के दंभ पर कार्यकर्ताओं को जोड़ने में लगी है और उनको जिम्मेदारी सौंपकर झंडा उठाने वाली फौज बनाने में लगी है। लेकिन अगर लोकसभा चुनाव के दृष्टिगत बात करें तो भाजपा जमीनी स्तर पर हरिद्वार में कमजोर नजर आती है। यह स्थिति तो तब है जब प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस चुनाव प्रचार की तैयारियों और सांगठनिक रूप से भाजपा से पीछे है।



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