नवीन चौहान
कोरोना संक्रमण ने आम जनमानस का जीवन दुश्वार कर दिया है। रोटी और रोजगार का संकट खड़ा हो गया। 3 मई तक का लॉक डाउन कोरोना के साथ—साथ भूखमरी का भी बड़ा कारण बन सकता है। गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों का जीवन बेहद कठिन दौर से गुजर रहा है। ऐसे में कोरोना महामारी भारत के निम्न स्तर के लोगों के लिए जी का जंजाल बन चुकी है। केंद्र सरकार प्राइवेट नौकरी करने वाले कर्मचारियों को वेतन देने की बात कर रही है। वही कंपनी प्रबंधकों के उत्पादन बंद होने के चलते उनकी आर्थिक स्थिति खुद दयनीय बनी हुई है। भारत के करोड़ों लोगों का घर सामान्य कार्यो को करने से ही चलता है। ऐसे में अगर उत्पादन कार्य पूरी तरह से बंद हो गए तो गरीब और मध्यमवर्गीय परिवार भूख के चलते मरने को विवश होंगे। भारत में कोई भी कंपनी मालिक अपने कर्मचारी को घर में बैठने का वेतन देने की स्थिति में सहज नही होगा। ऐसे हालात में आम आदमी को सब्जी खरीदने तक के लाले पड़ जायेंगे।
भारत में इन दिनों कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए लॉकडाउन की व्यवस्था प्रभावी की गई है। पूरे देश में सभी नागरिक घरों में है। सभी व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद पड़े है। स्कूल, कॉलेज, दुकान, फैक्ट्री, आटोमोबाइल इंड्रस्टी व तमाम प्रोडक्शन हाउस पर ताला लटका है। इन प्रतिष्ठानों में कार्य करने वाले करोड़ों लोग अपने घरों पर बैठे है। ऐसे में उनके वेतन और रोजमर्रा का कार्य करके कमाई करने वाले नागरिकों के सामने पैंसों की तंगी आ गई है। सरकार की ओर से निर्देश जारी है कि कोई भी कंपनी मालिक व दुकान मालिक अपने कर्मचारी को नौकरी से नही निकालेगा। इसके अलावा उनको वेतन दिया जायेगा। लेकिन अगर वास्तविकता की बात करें तो किसी मालिक के पास इतना पैंसा नही है कि वो घर में बैठे कर्मचारी को वेतन दे सकें। अगर निजी स्कूलों की बात करें तो बच्चों की फीस लेने पर पूरी तरह से प्रतिबंध है। ऐसे में निजी स्कूल संचालकों के पास इतने पैंसे नही कि वो अपने कर्मचारियों को वेतन दे सके। यही हालत फैक्ट्री मालिकों की है। दो से तीन महीने का वेतन कोई फैक्ट्री मालिक अपने कर्मचारी को देने की स्थिति में नही है। एक सामान्य दुकान पर कार्य करने वाले सेल्समैन को तो पहले की नौकरी से छुटटी दे दी गई है। ऐसे में आप खुद अंदाजा लगा सकते है कि एक सामान्य निम्न स्तर के नागरिक और मध्यमवर्गीय परिवारों के घरों की हालत कैसी होगी। वही दूसरी ओर देश की अर्थव्यवस्था का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते है। खुद प्रधानमंत्री देश की जनता से पीएम केयर फंड में दान देने की अपील कर रहे है। देश की जनता अपने पीएफ, वेतन, बचत खाते से पीएम केयर फंड में दान कर रही है। जब देश की सरकार खुद जनता की ओर मुंह ताक रही है। तो देश की गरीब जनता किसकी ओर मुंह करेंगी। आम आदमी को अपने परिवार की चिंता लाजिमी है। स्थिति तब बेहद भयावय होगी जब देश की जनता भूख के कारण मरेगी। एक मध्यमवर्गीय परिवार स्वाभिमान और सम्मान के चलते सरकारी राशन नही लेगा। सब्जी खरीदने के पैंसे नही होंगे। बचत खातों में धन नही होगा। कुंआ खोदकर पानी निकालकर पीने वाले सामान्य नागरिक कोरोना की महामारी और रोटी रोजगार की चिंता में भयभीत है। केंद्र सरकार को गंभीरता से सोचना होगा। योजनाबद्ध तरीके से आम आदमी के सम्मान को बरकरार रखते हुए कोरोना से निबटने की रणनीति बनानी होगी। अन्यथा वो दिन दूर नही जब देश में कोरोना से भी बड़ा संकट खड़ा होगा। भूखी प्यासी गरीब जनता भूखमरी से मर रही होगी।