रिटायरमेंट से तीन महीने दून का लाल के लिए शहीद




देहरादून. सात जून को जम्मू-कश्मीर के नौगाम सेक्टर में आतंकी मुठभेड़ में गंभीर रूप से घायल देहरादून के सपूत नायक जीत बहादुर थापा शहीद हो गए। बंजारावाला निवासी 4/1 गोरखा राइफल्स के नायक जीत बहादुर थापा का दिल्ली के राष्ट्रीय राइफल्स के रिचर्स एंड रेफरल सेंटर में इलाज चल रहा था। रविवार देर रात उन्होंने अंतिम सांस ली।

सात जून को आतंकियों से मुठभेड़ के बाद से जीत कोमा मे थे। मां सावित्री की तबीयत ठीक नहीं है। इसलिए जीत बहादुर की देखरेख के लिए दूसरे नम्बर के भाई गुप्ता बहादुर, तीसरे नम्बर के भाई मन बहादुर, जीजा अमित दिल्ली में ही थे। उनके शहीद होने की खबर मिलने के बाद से पत्नी रानी का रो-रोकर बुरा हाल है। पांच साल की बेटी मानवी को तो पता ही नहीं था कि इतने लोग अचानक उनके घर पर एकत्र क्यों होने लगे हैं। वह तो पूछने पर एक ही बात कहती है कि पापा उनके स्कूल के डांस कॉम्पीटिशन में आए थे। जीत की शादी 13 अक्तूबर 2008 को हुई थी।

जीत बहादुर थापा का पार्थिव शरीर सोमवार देर शाम मिलिट्री हास्पिटल में लाया गया। मंगलवार सुबह शहीद का पार्थिव शरीर बंजारावाला स्थित उनके आवास लाया गया। इसके बाद हरिद्वार में सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया। 37 साल के जीत बहादुर थापा 24 अप्रैल को ही डेढ़ माह की छुट्टी से वापस लौटे थे। वह ढाई साल से कश्मीर में तैनात थे और एक अक्तूबर को 17 साल की नौकरी के बाद रिटायर भी होने वाले थे। उनके परिवार में मां सावित्री देवी, पत्नी रानी, पांच साल की बेटी मानवी और तीन माह का बेटा रौनक है। उधर, एडीएम प्रशासन हरवीर सिंह ने परिजनों को सांत्वना दी।



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