कहीं आप मानसिक रोगी तो नही, तो सुनिए मानसिक एवं मस्तिष्क​ रोग विशेषज्ञ डॉ पीयूष वर्मा को





नवीन चौहान

आधुनिकता की चकाचौंध में इंसान की जिंदगी एक मशीन बनकर रह गई है। प्रतिस्पर्धा के दौर में इंसान पैंसा कमाने की होड़ में व्यस्त रहता है। सरकारी अधिकारी हो या कर्मचारी, व्यापारी वर्ग हो या नौकरी पेशा सभी इंसान अपने—अपने प्रोफेशन में मानसिक तनाव से जूझ रहे है। इस तनाव को दूर करने के लिए वह व्यक्ति सिगरेट, शराब या अन्य किसी प्रकार के नशे का सेवन करते है। ऐसे हालात में कब एक अच्छा खासा स्वस्थ इंसान मानसिक रोगी बन जाता है। उसको खुद पता नही चल पाता। मानसिक रोगियों के लक्षणों से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी दे रहे है प्रसिद्ध डॉ पीयूष वर्मा।
एसआर मेडिसिटी सुपर स्पेशिलिटी हॉस्पिटल में कार्यरत मानसिक एवं मस्तिष्क रोग विशेषज्ञ डॉ पीयूष वर्मा ने न्यूज127 के संपादक नवीन चौहान से एक इंटरव्यू के दौरान मानसिक रोगियों के लक्षणों के बारे में विस्तार से बताया और उनके स्वस्थ करने का तरीका भी समझाया।
डॉ पीयूष वर्मा ने बताया कि मानसिक रोग यूं तो कई प्रकार के होते है। लेकिन इसके लक्षणों में डिप्रेशन या कहे अवसाद है। बैचेनी होना, नशे की लत लग जाना, नींद नही आना, या फिर अधिक नींद आना। सभी मानसिक बीमारी के ही लक्षण है। इसके अलावा ओसीडी अर्थात सभी जगह गंदगी नजर आना। या फिर बार— बार हाथ धोते रहना। यह भी मानसिक बीमारी के ही लक्षण है। कुछ मानसिक रोगियों का व्यवहार का बदल जाता है। रोगी गाली देना शुरू कर देते है। इसके अलावा अधिक बात करना या फिर जरूरत से ज्यादा पैंसे खर्च करना भी मानसिक बीमारी के ही लक्षण है।


डिप्रेशन के लक्षणों में सबसे पहले एकाएक उदासी आना। काम करने में मन नही लगना। नींद का कम हो जाना और भूख का नही लगना ही अवसाद के लक्षण है। रोगियों को अपनी जिंदगी बोझ लगने लगती है। नकारात्मक विचार मस्तिष्क में आने लगते है। जिसके चलते कई बार रोगी आत्महत्या तक कर लेते है।
नशा एक बीमारी है। नशा छोड़ना भी संभव है। मेरे ज्यादातर मरीज एल्कोहलिक मिले ​है। शराब उनके परिवार के लिए समस्या बन जाती है। शराबी को होश नही रहता। उनका परिवार परेशान रहता है। स्मैक और नशे की गोलियों का सेवन युवा वर्ग करता है। सिगरेट भी एक बड़ी समस्या है। कुछ लोग नशे के इंजेक्शन लेते है। इन सभी नशों को छुड़ाना संभव है। मरीज को देखने के बाद उनका इलाज संभव है। मरी​ज को भर्ती किया जाता है।
शराब पीने वाला व्यक्ति अगर शराब नही लेगा तो उसके शरीर बैचेन हो जात है। मरीज को मिर्गी के दौरे आ जाते है। कई बार मरीज की जान भी जा सकती है। स्मैक के मरीजों की हालत ज्यादा खराब होती है। मरीज का शरीर स्मैक मांगता है। अगर स्मैक नही मिले तो आंख से पानी और शरीर में दर्द बैचेनी बढ़ जाती है। लूज मोशन लग जाते है। ऐसी स्थिति में मरीज को भर्ती करने के बाद उसका उपचार शुरू करते है। शुरूआती दिनों में दवाईयों के जरिए शरीर से नशे को दूर करने का प्रयास करते है। उसके बाद उनका मनोबल बढ़ाते हुए नशे से नफरत करने के लिए प्रेरित करते हुए विशेष प्रकार का टीटमेंट शुरू करते है। जिसके चलते मरीज कुछ ही दिनों में नशे से दूर हो जाता है। उसकी मानसिक बीमारी भी ठीक हो जाती है।



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