तीन दिन हड़ताल से कूड़े के ढेरों से उठ रही बदबू, पूर्व विधायक अंबरीष कुमार ने उठाए सवाल




जोगेंद्र मावी
केआरएल की हड़ताल चलते हुए तीन दिन हो गए है। उनकी मांगों कूड़ा उठाने के ट्रिपिंग चार्ज बढ़ाने के साथ बकाया भुगतान तत्काल जारी करने की है। लेकिन इधर शहर में कूड़ा न उठने से हालात बदत्तर हो गए हैं। तीन दिन से शहर में कूड़ा न उठने से घरों में भी बदबू होने लगी हैं। शहर में तो बुरा हाल है। शहर की बदहाल हुई व्यवस्था पर पूर्व विधायक अंबरीष कुमार ने निशाना साधा है।
पूर्व विधायक अंबरीष कुमार ने कहा कि निजीकरण का नतीजा नगर में सफाई व्यवस्था चौपट केआरएल कंपनी द्वारा विवाद के बाद कूड़ा उठाने का काम बंद कर दिया और निगम क्षेत्र की सफाई व्यवस्था चौपट हो गई। कोविड काल जगह-जगह कूड़े के ढेर लगे हैं। दुर्गंध से नागरिक परेशान है परंतु प्रशासन कुंभ काल में भी उदासीन बना हुआ है। मुख्य नगर अधिकारी ने भी इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया है। चर्चा यह है कि नगर निगम और केआरएल कंपनी के बीच हुए अनुबंध में किसी विवाद की स्थिति में पंचाट द्वारा विवाद सुलझाए जाने की व्यवस्था और यह निश्चित है कि ऐसा होने पर पंचाट का फैसला नगर निगम के विरुद्ध ही आएगा। क्योंकि निजी क्षेत्र की कंपनियां ऐसे तो तरीके अपनाते हैं जो नगर निगम नहीं अपना सकता इसका स्पष्ट उदाहरण उषा ब्रेको को कंपनी के हक में आया पंचाट का फैसला है, इसीलिए निजीकरण का विरोध होता है।

पूर्व विधायक अंबरीष कुमार

भारतीय जनता पार्टी की सरकार के 2010 में कराए गए इस अनुबंध का नतीजा शहर भुगत रहा है। इस निर्णय से एक और तो सफाई कर्मचारियों का शोषण हुआ है और दूसरी तरफ नागरिकों को भी सफाई के लिए पैसा देना पड़ता है। मैं बीजेपी सरकार की इस निजीकरण की नीति की निंदा करता हूं और प्रशासन को चेतावनी देना चाहता हूं कि नींद से जाग कर समस्या का समाधान करें।



Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *