सिद्धांतों के आगे प्रधानाचार्य की कुर्सी छोड़ी और मेडिकल लीव भी कर दी गिफ्ट, आदर्श शिक्षक





नवीन चौहान
हरिद्वार के एक विद्धान प्रोफेसर ​डॉ नरेश कुमार गर्ग किसी परिचय के मोहताज नहीं है। उनके आदर्श और सिद्धांत प्रतिभावान छात्रों के लिए सदैव अनुकरणीय है। जिन्होंने अपने निजी और सार्वजनिक जीवन में सदैव नैतिक मूल्यों का बखूवी पालन किया। जिन्होंने नियमों, आदर्शो और सिद्धांतों की डोर थामकर जिंदगी के सबसे खूबसूरत 45 बसंत छात्रों का भविष्य संवारने में लगा दिए। सरकारी नौकरी में मिलने वाली मेडिकल लीव भी सरकार को ही गिफ्ट कर दी। नियमों और सिद्धांतों के सामने प्रधानाचार्य की कुर्सी का भी त्याग कर दिया। एक शिक्षक के तौर पर कार्य करते हुए छात्रों का भविष्य संवारने में योगदान दिया। छात्रों को वक्त की महत्वता को समझाया और अपना एक—एक क्षण शिक्षण कार्यो को दिया। आदर्श व्यक्तित्व और सिद्धांतों की मिशाल कायम कर दी। 45 साल तीन माह और चार दिन तक ​अनवरत छात्र—छात्राओं को पढ़ाने का कार्य किया। 30 जनवरी साल 2021 को सरकारी नौकरी के आखिरी दिन भी कर्तव्यनिष्ठा का निर्वहन किया और एक फूल लेकर सेवानिवृत्ति ले ली।
हरिद्वार के एसएमजेएन पीजी कॉलेज में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर डॉ नरेश कुमार गर्ग का जन्म 31 जनवरी 1956 को उत्तर प्रदेश के मेरठ जनपद में हुआ। प्रारंभिक शिक्षा शामली में सरकारी स्कूल में हुई। डीएन कॉलेज मेरठ से एमए की शिक्षा हासिल करने के बाद मेरठ विश्वविद्यालय से एमफिल और पीएचडी की डिग्री हासिल की। पढ़ाई में होनहार डॉ गर्ग का चयन यूजीसी के जरिए हरिद्वार के एसएमजेएन पीजी कॉलेज में हुआ। 27 अक्टूबर 1975 को हरिद्वार के एसएमजेएन पीजी कॉलेज में बतौर अर्थशास्त्र के प्रवक्ता के तौर पर कार्यभार ग्रहण किया। असाधारण व्यक्तित्व वाले डॉ नरेश कुमार गर्ग ने सादगी भरे में अंदाज में शिक्षण कार्य प्रारंभ किया। छात्र कें​द्रित दृष्टिकोण रखते हुए छात्र—छात्राओं को अनुशासनात्मक जीवन का महत्व बताया। उनके कार्य करने का अंदाज छात्रो के आकर्षण का केंद्र बनने लगा। शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्रों के लिए डॉ गर्ग अनुकरणीय होने लगे। वही शिक्षा से इतर रहने वाले छात्रों का ध्यान शिक्षा की ओर केंद्रित करने के लिए डॉ नरेश कुमार गर्ग ने कई अभिनव प्रयोग किए। डॉ गर्ग ने अपने जिंदगी का मकसद भारत के लिए विद्धान अर्थशास्त्री तैयार करने का रह गया। जिस कार्य को उन्होंने पूरी सत्यनिष्ठा से निभाया। लोभ लालच उनको अपनी ओर आकर्षित ना कर सका। संस्था के द्वारा संचालिक एसएमजेएन कॉलेज की अंद्धरूनी राजनीति से डॉ गर्ग सदैव दूर रहे। उनका किसी विवाद से कोई नाता ना रहा। उन्होंने अपने कार्यकाल में छात्र हित और कॉलेज हित को सर्वोपरि रखा। लेकिन इन सबके बीच जो बात उनको पंसद नही आती थी तो वह पहले अपने साथियों को उचित मार्गदर्शन करते थे। अगर साथियों की समझ में आ गई तो ठीक अन्यथा खुद उनके निर्णयों पर असहमति जताते हुए अलग कर लेते है। डॉ नरेश कुमार गर्ग के सिद्धांतों पर रहकर कार्य करने की छवि निखरती चली गई। उनके विरोधी भी उनके सिद्धांतों को भली भांति समझते थे। विरोधियों को मालूम था कि डॉ गर्ग अपने सिद्धांतों की डोर को नही छोड़ेंगे। यही कारण रहा कि जब उनको प्रधानाचार्य की कुर्सी पर काबिज होने का अवसर मिला तो उन्होंने पदभार ग्रहण तो किया लेकिन सिद्धांतों से समझौता नही किया। साल 2002—03 में वह पांच माह के लिए और साल 2008 में एक माह के लिए प्रधानाचार्य के तौर पर कार्य करते रहे। शिक्षण कार्यो में खुद को व्यस्त रखने वाले डॉ नरेश कुमार गर्ग को प्रधानाचार्य की कुर्सी पर बैठकर आराम करना और सिद्धांतों को दरकिनार करने का तरीका रास नहीं आया। इन सब बातों को देखते हुए डॉ गर्ग ने प्रधानाचार्य की कुर्सी से खुद को अलग करते हुए अर्थशास्त्र विभागाध्यक्ष की जिम्मेदारी का कुशलता पूर्वक निर्वहन किया। डॉ नरेश कुमार गर्ग ने वक्त के अनुरूप खुद को हाईटेक किया। कंप्यूटर का अध्ययन किया और पारंगत हुए। डॉ गर्ग ने करीब 45 सालों तक शिक्षण कार्य करने के बाद 30 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्ति ले ली। रिटायरमेंट से पूर्व तक उनकी 232 मेडिकल लीव शेष रही तथा 51 पीएल लीव शेष रही। उन्होंने कभी सरकारी छुटिटयों का लाभ उठाने की कोशिश नही की। स्वास्थ्य कारणों के चलते ही छुटिटयां लेना मुनासिब समझा। कॉलेज को मंदिर मानते हुए एक पुजारी की भांति अपने ​छात्र—छ़़ात्राओं का भविष्य संवारना ही उनका मकसद रहा। डॉ गर्ग की ईमानदारी से कार्य करने की शैली ने एक अमिट छाप छोड़ दी है। जीवन में एक लीक पर चलकर कार्य करना बेहद ही मुश्किल होता है। लेकिन डॉ गर्ग ने उन मुसीबतों को भी पार किया।
एक बेटा और एक बेटी
डॉ नरेश कुमार गर्ग ने अपना निजी जीवन भी सिद्धांतों पर ही गुजारा। उनके लिए अपने बच्चे और विद्यार्थी दोनों एक समान रहे। कभी बच्चों और विद्यार्थियों में अंतर नही किया। उनका एक बेटा और एक बेटी उच्च शिक्षा हासिल करके विभिन्न पदों पर कार्यरत है। बच्चों में भी पिता के सिद्धांतों की झलक दिखाई देती है।

प्रासंगिक रहेंगे विचार
रिटायर्ड प्रोफेसर डॉ नरेश कुमार गर्ग के विचार हमेशा प्रासंगिक रहेंगे। उनकी विचार युवा पीढ़ी को ईमानदारी से कार्य करने की प्रेरणा देती रहेंगे। वर्तमान मतलबी युग में एक आदर्श जीवन में कितने कष्टों का सामना करना पड़ता है। अपने लिए खुद ही मुसीबते खड़ी करती होती है। स्वार्थी युग में लोग जहां कुर्सी से चिपके ​रहने के लिए संस्था के नियमों की धज्जियां उड़ा देते है। उनके लिए डॉ नरेश गर्ग एक नसीहत भी है।

प्राचार्य डॉ बत्रा ने बुके देकर किया सम्मानित
एसएमजेएन पीजी कॉलेज के अर्थशास्त्र विभागाध्यक्ष डाॅ. नरेश कुमार गर्ग के 45 वर्ष, तीन महीने और चार दिन की अनवरत सेवाओं के सेवानिवृत्ति अवसर प्राचार्य डाॅ.सुनील कुमार बत्रा, वाणिज्य विभागाध्यक्ष डाॅ मनमोहन गुप्ता, संस्कृत विभागाध्यक्ष डाॅ.सरस्वती पाठक, डाॅ.तेजवीर सिंह तोमर, डाॅ.नलिनी जैन, प्रो. विनय थपलियाल, डाॅ सुषमा नयाल, कार्यालय अधीक्षक मोहन चन्द्र पाण्डेय ने पुष्प गुच्छ भेंट कर विदाई दी।
इस अवसर पर डाॅ.अमिता श्रीवास्तव, महिमा राणा, अंतिमा त्यागी, डाॅ. कुसुम नेगी, डाॅ. आशा शर्मा, एम सी पांडे,वैभव बत्रा, डॉ मनोज सोही,डॉ शिव कुमार चौहान, अंकित अग्रवाल, दिव्यांश शर्मा, वेद प्रकाश चौहान, श्रीमती हेमवंती, संजीत कुमार आदि सहित अनेक शिक्षक व शिक्षणेत्तर कर्मचारी उपस्थित थे।



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