गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय में दो दिवसीय कार्यशाला




हरिद्वार . गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के कम्प्यूटर विभाग की प्रयोगशाला में दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला फैकल्टी इन्पावरमेंट प्रोग्राम इन एसोसिएशन आॅफ माईक्रोसाॅफ्ट विषय पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो0 विनोद कुमार ने कहा कि यह कार्यशाला एन.आई.आई.टी. के सहयोग से संचालित की जा रही है। इस कार्यशाला में मानविकी और प्राच्य विद्या संकाय के शिक्षकों को कम्प्यूटर की मौलिक जानकारियां दी जायेंगी। इस कार्यशाला के माध्यम से छात्र और अध्यापक सीधे तौर से कम्प्यूटर और इण्टरनेट की दुनिया से जुड़ जायेंगे। वर्तमान में प्राचीन विषयों के प्राध्यापक कम्प्यूटर की जानकारी हासिल करने के लिए यह कार्यशाला उन्हें आधुनिक दुनिया के विषयों से भी जोडेगी। उन्होंने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी आज एक दूसरे के पर्यायवाची बन गए हैं। उन्होंने कहा कि कम्प्यूटर प्राध्यापकों के लिए साध्य है ओर शिक्षा छात्र और आध्यापकों के लिए साधन है। कम्प्यूटर शिक्षा में प्रत्येक व्यक्ति तभी निपुण हो सकता है जब वह प्रतिदिन कम्प्यूटर के साॅफ्टवेयर का अध्ययन कर अभ्यास करे। अभ्यास करने से हमारे अन्दर ज्ञान का दीपक प्रज्वलित होता है। अभ्यास ही हमें पूर्णता की और ले जाता है। इसीलिए कम्प्यूटर की शिक्षा एक जनप्रिय शिक्षा बनती जा रही है।
कार्यशाला के संयोजक प्रो0 पंकज मदान ने कहा कि यह कार्यशाला शिक्षक और छात्रों के लिए आयोजित हो रही है। मगर इसका मकसद यह है कि हमारे विश्वविद्यालय के शिक्षक कम्प्यूटर को शिक्षा न मानें। क्योंकि आज कम्प्यूटर आम आदमी के जीवन का हिस्सा बन गया है। बिना कम्प्यूटर के हम उस तरह से अपंग है जिस तरह से हमारे शरीर से कोई अंग बाहर हो जाता है। प्रधानमंत्री जी की डिजीटल साक्षरता अभियान यह साबित करता है कि प्रत्येक व्यक्ति को कम्प्यूटर की शिक्षा अवश्य आनी चाहिए। इस कार्य के लिए एन.आई.आई.टी. के युवा कम्प्यूटर वैज्ञानिक आशीष अग्रवाल सबको छोटी से छोटी जानकारी देकर कम्प्यूटर ज्ञान से जांेड़ रहे हैं।
कम्प्यूटर विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो0 विवेक कुमार ने कहा कि बड़ा खुशी का दिन है संस्कृत और वेद के प्राध्यापकगण कम्प्यूटर शिक्षा को ग्रहण कर रहे हैं। अब निश्चित ही प्राचीनतम संस्कृत भाषा वर्तमान के इण्टरनेट की दुनिया से जुड़ चुकी है। मगर हमारे विश्वविद्यालय के प्राध्यापक इस कार्य को और उन्नति की ओर ले जाने में कामयाब होंगे। उन्होंने कहा कि वेद विषय के भी प्राध्यापक कम्प्यूटर के अनेक साफ्टवेयर से जुड़ रहे है और ज्ञान हासिल कर रहे हैं। इसका लाभ उन्हें रोजमर्रा की जिन्दगी में अवश्य मिलेगा।
इस कार्यशाला में वेद विभाग के प्रो0 दिनेशचन्द्र शास्त्री और संस्कृत विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो0 ब्रह्मदेव ने कहा कि इस कार्यशाला को समन्वय स्थापित करने में कम्प्यूटर विज्ञान विभाग के युवा सहायक प्रोफेसर डा0 श्वेतांक आर्य, प्लेसमेंट सैल के दुर्गेश त्यागी और शिक्षक संकाय के परियोजना समन्वयक डा0 पंकज कौशिक के अथक प्रयासों द्वारा यह कार्यशाला विश्वविद्यालय के प्राध्यापक, प्राध्यापिकाओं और शोधार्थियों के लिए आयोजित हो पाई है। विशेष बात यह है कि यह कार्यशाला माइक्रोसाॅफ्ट कम्पनी का भी इस कार्य में सहयोग रहा है साथ ही एन.आई.आई.टी. भी एक समन्वयक का काम कर रही है।
इस अवसर पर प्रो0 कर्मजीत भाटिया, डा0 महेन्द्र सिंह असवाल, डा0 कृष्ण कुमार, डा0 मौहर सिंह मीणा, डा0 विपुल भट्ट, डा0 अजेन्द्र, डा0 अजय मलिक, डा0 शिव कुुमार चैहान, डा0 उधम सिंह, डा0 संगीता सिंह, डा0 हिमांशु गुप्ता, डा0 राजुल भारद्वाज, डा0 संगीता मदान, डा0 वीना विश्नोई, डा0 वीरेन्द्र वाहला, डा0 आभा शुक्ला, द्विजेन्द्र पन्त इत्यादि उपस्थित थे।



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