मोदी सरकार के चाबुक से दहला पत्रकारिता जगत, जानिये पूरी खबर




नवीन चौहान हरिद्वार। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चाबुक से पूरा पत्रकारिता जगत दहल उठा है। लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माने जाने वाले पत्रकारिता जगत के अखबार आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहे है। मोदी सरकार ने छोटे और मंझोले अखबारों के विज्ञापनों पर पूरी तरह से नकेल कस दी है। सच को परोसने का साहस दिखाने वाले इन अखबार मालिकों की आर्थिक स्थिति चरमराने लगी है। जिसके चलते हजारों की संख्या में अखबार पूरी तरह से बंदी की कगार पर पहुंच चुके है। तो कुछ अखबार मालिक जल्द ही प्रेस पर ताला जडने की तैयारी कर रहे है।
लोकतंत्र में मीडिया ही जनता की आवाज बनते है। अखबारों के माध्यम से ही जनता अपनी बात सरकार के कानों तक पहुंचाती है। किसी भी सरकार का स्थायी विपक्ष अखबार ही होते है। लेकिन मोदी सरकार के इस स्थायी विपक्ष यानि अखबारों पर चाबुक चला दिया है। अखबारों पर पूरी तरह से संकट गहरा गया है। जनता की आवाज दम तोडने लगी है। मोदी सरकार ने इस अखबारों को चलाने के लिये सरकार से मिलने वाले सरकारी विज्ञापनों पर पूरी तरह से रोक लगा दी है। इसके अलावा कुछ नियम इतने सख्त कर दिये गये है कि छोटे अखबारों को इन नियमों को पूरा करना संभव नहीं है। बतादे कि भारत में जितने भी जितने भी घोटालों को उजागर किया गया है उनमें छोटे अखबारों की बडी महती भूमिका है। साप्ताहिक, पाक्षिक अखबारों ने सच को लिखकर सरकारों की नींद तोडी है। चाहे केंद्र की कांग्रेस सरकार हो या वर्तमान की मोदी सरकार इन छोटे अखबारों ने अपनी लेखनी के माध्यम से सरकार की हिटलरषाही रवैये को काबू किया है। लेकिन लोकतंत्र की सबसे मजबूत समझे जानी वाली लेखनी पर संकट के बादल गहरा रहे है। मोदी सरकार ने इन अखबारों के अस्तित्व को ही चुनौती दे दी है। अखबार मालिको के सामने प्रेस को चलाये रखने की आर्थिक सामथ्र्य नहीं बची है। जबकि कुछ छोटे साप्ताहिक और पाक्षिक अखबार बिकने के कगार पर है। कुछ मालिकों ने बेच दिये है तो कुछ खरीददार खोज रहे है।



Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *