मौत को मात देने के बाद पतं​जलि के आचार्य बालकृष्ण,करेंगे यह काम




नवीन चौहान
जीवन के कठिन सफर में तमाम चुनौतियों को पार कर विश्व पटल पर ख्याति अर्जित कर चुके पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण सार्वजनिक जीवन में बेहद सरल है। सामान्य व्यक्ति ने मिलना और उनको आयुर्वेदिक उपचार बताना उनकी सबसे बड़ी खूबी है। यही कारण है कि इसी सादगी के चलते उनको मुसीबत का सामना करना पड़ा। उनकी जिंदगी खतरे में पड़ गई। लेकिन मौत को मात देने के बाद आचार्य बालकृष्ण के उत्साह में कोई कमी नही है। स्वास्थ्य हाल जानने वाले लोगों से वह पूरी गर्मजोशी से मिल रहे है और आगामी कार्य योजनाओं की जानकारी दे रहे है। बताते चले कि आचार्य बालकृष्ण एक नया कीर्तिमान बनाने जा रहे है। जी हां डब्ल्यूएचओ के अधूरे कार्य को पतंजलि योगपीठ के सीईओ आचार्य बालकृष्ण पूरा करने जा रहे हैं। जो कार्य 11 वर्षों तक मेहनत करने के बाद डब्ल्यूएचओ पूरा नहीं कर पाया उस कार्य को पूरा करने का उन्होंने बीड़ा उठाया हैं। इस कार्य को पूरा करने के लिए वह विगत 14 वर्षों से कार्य कर रहे है और आगामी कुंभ में इसको पूरा कर लिया जाएगा। आचार्य बालकृष्ण विश्व भेषज सहिंता पर कार्य कर रहे हैं। यह पुस्तक विश्व की अभी तक की सबसे बड़ी पुस्तक होगी।
बुधवार को दिव्य योग मंदिर में मुलाकात के दौरान आचार्य बालकृष्ण महाराज ने बताया कि सौ खण्डों में प्रकाशित होने वाली विश्व भेषज संहिता का कार्य जोरों पर है। बताया कि इस पुस्तक में 62 से 65 हजार पौधों का वैज्ञानिक प्रमाणिकता के साथ वर्णन किया गया है। जबकि आयुर्वेद में केवल 1000 पौधों का ही वर्णन आता है। बताया कि इस पुस्तक के प्रथम खण्ड का विमोचन दो वर्ष पूर्व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कर चुके हैं। 100 खण्डों में प्रकाशित होने वाली इस पुस्तक में करीब एक लाख से अधिक पृष्ठ होंगे और यह विश्व की अभी तक की सबसे बड़ी पुस्तक होगी। बताया कि इस पुस्तक के 20 खंड छपकर तैयार हो चुके हैं। इस सम्पूर्ण पुस्तक के विश्व के करीब 65 हजार पौधों का वर्णन होगा। कुंभ मेला आरम्भ होने से प्रत्येक दिन एक खण्ड का विमोचन किया जाएगा। वर्ष 2005 से इस पुस्तक पर कार्य किया जा रहा है और प्रत्येक माह इस पर तीन करोड़ रुपये का खर्च आ रहा है और 150 लोग इस कार्य को करने में जुटे हुए हैं। बताया कि विश्व के तमाम पौधों के गुण दोष का वैज्ञानिक आधार पर वर्णन कर पुस्तक तैयार करने का बीड़ा डब्ल्यूएचओ ने वर्ष 1999 में उठाया था। वर्ष 2010 तक वह चार खण्ड की प्रकाशित कर पाया और कार्य जटिल होने के कारण रोक दिया।
आचार्य बालकृष्ण ने बताया कि इस पुस्तक में पौधों के विश्व की 1800 भाषाओं में नामों का वर्णन है। बताया कि इस ग्रंथ के प्रकाशन के बाद कौन सा पौधा किस रोग में कार्य करता है इसके वर्णन के साथ जड़ी-बूटी रहस्य के नाम से पुस्तक का प्रकाशन किया जाएगा, जो हिन्दी में होगी। जबकि विश्व भेषज संहिता का प्रकाशन अंग्रेजी भाषा में होगा। बताया कि यह ग्रंथ विश्व का सबसे बड़ा ग्रंथ होगा।



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