प्रशासन की आंख खुली होती तो बच जाती एक जिंदगी




हरिद्वार। जिला प्रशासन और पुलिस यदि जागरुक पत्रकार की सूचना पर संजीदगी दिखाता को एक व्यक्ति की जिंदगी को बचाया जा सकता था। बस दुर्घटना से पूर्व भी उस स्थान पर एक बैटरी रिक्शा गड्ढे में पलट गई थी। इस रिक्शा में सवार चार लोग गंभीर रुप से घायल हो गये थे। जिसकी सूचना एक जागरुक पत्रकार ने पुलिस को दी थी। सूचना पर पहुंची पुलिस ने घायल परिवार को जिला चिकित्सालय भिजवाकर अपने कार्य की इतिश्री कर ली। यदि पत्रकार की सूचना पर जिला प्रशासन ने सजगता दिखाई होती और गड्ढे को भरा जाता तो शायद बस दुर्घटना को टाला जा सकता था और उस व्यक्ति को जिंदगी को बचाया जा सकता था। 18 अगस्त की तड़के करीब साढ़े चार बजे हरिद्वार देहरादून नेशनल हाईवे पर अलकनंदा होटल के समीप सड़क किनारे गड्ढे में एक बस पलट गई। दुर्घटना में विद्याराम 55 की मौके पर ही मौत हो गई जबकि करीब 15 लोग बुरी तरह घायल हो गये। इसी स्थान पर 12 अगस्त की रात्रि में एक बैटरी रिक्शा पलट गई थी। इस बैटरी रिक्शा में महिला और पुरुष समेत चार लोग सवार थे। सभी बुरी तरह से घायल हो गये। इसी दौरान वहां से गुजर रहे स्थानीय पत्रकार अवधेश शिवपुरी ने घायलों को सड़क पर बिलखते हुये देखा। उन्होंने मानवता का धर्म निभाते हुये पुलिस कंट्रोल रुम को सूचना दे दी। लेकिन पुलिस कंट्रोल रुम का 100 नंबर देहरादून कंट्रोल रुम में जाकर लगा। देहरादून से अवधेश शिवपुरी को हरिद्वार कंट्रोल रुम को मोबाइल नंबर 9411112873 दिया गया। अवधेश शिवपुरी ने घायल को जिला अस्पताल भिजवाने के लिये हरिद्वार कंट्रोल रुम के मोबाइल नंबर पर फोन किया। जिसके बाद पुलिस और सीपीयू के जवान मौके पर पहुंच गये। पुलिस ने अवधेश शिवपुरी की मदद से सड़क पर पड़े चारों घायलों को अस्पताल भिजवा दिया। पुलिस ने घायलों को अस्पताल भिजवाकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली। यदि प्रशासन ने इस रिक्शा पलटने की सूचना को गंभीरता से लिया होता और गड़ढे को भरने की पहल की जाती तो शायद बस दुर्घटना को टाला जा सकता था। ऐसे में अब सवाल खड़ा होता है मरने की वाले कि मौत के लिये जिम्मेदार कौन है सरकार या प्रशासन के अधिकारी। जो इन हादसों से कोई सबक नहीं लेते है।

पत्रकार ने लगाये गड्ढे पर पत्थर तो वह भी हटा दिये

हरिद्वार। पत्रकार अवधेश शिवपुरी ने पुलिस प्रशासन से इस गड्ढे को भरवाने की गुहार लगाई थी। इसी के साथ ही 14 अगस्त को एक बार फिर इस गड्ढे से दुर्घटना को रोकने के लिये कुछ पत्थरों को गड्ढे के किनारों पर रख दिया। ताकि किसी वाहन का पहिया इस गड्ढे में ना पड़ जाये। लेकिन किसी राह चलने वाले व्यक्तिने इन पत्थरों को भी हटा दिया। जब बस पलटने की दुर्घटना में एक व्यक्ति की मौत की सूचना अवधेश शिवपुरी को लगी। तो वह बहुत दुखी हो गये। न्यूज 127 डॉट कॉम से बात करते हुये अवधेश शिवपुरी ने बताया कि प्रशासन की मुस्तैदी रहती और अधिकारी अपनी जिम्मेदारी का पालन करते तो इस दुर्घटना को टाला जा सकता था।



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