स्वामी सत्यमित्रानन्द गिरि महाराज के सानिध्य में 501 कुण्डीय श्री भारत माता आराधना महायज्ञ की हुई पूर्णाहूति




नवीन चौहान
भारत माता जनहित ट्रस्ट, समन्वय सेवा ट्रस्ट एवं भारत माता मंदिर के तत्वावधान में विगत 9 मार्च से चल रहे श्री भारत माता आराधना महायज्ञ की पूर्णाहूति जूना पीठाधीश्वर स्वामी अवधेशानन्द गिरि महाराज की गरिमामयी उपस्थिति में सम्पन्न हुई। इस अवसर पर स्वामी सत्यमित्रानन्द गिरि महाराज ने उपस्थित जन समुदाय से पर्यावरण की शुद्धता के लिए वृक्ष लगाने तथा गंगाजी को निर्मल बनाये रखने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि श्री भारत माता आराधना महायज्ञ अपने उद्देश्य में सफल रहा। इस स्थान से हमें पर्यावरण की सुरक्षा करने का संकल्प लेकर जाना चाहिए। उन्होंने श्रद्धालु भक्तों से पूजा की सामग्री गंगाजी में प्रवाहित न करने की अपील करते हुए कहा कि गंगाजी को प्रदूषण मुक्त रखना हमसब का परम कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि भारत में चित्र की नहीं चरित्र की पूजा होती है। हमारे यहां मन, विचार तथा संकल्प की पवित्रता को महत्व दिया गया है। हमारा कर्म परमार्थ के लिए हो ऐसा प्रयास करना चाहिए।
जूना पीठाधीश्वर आचार्य म.मं. स्वामी अवधेशानन्द गिरि महाराज ने कहा कि यज्ञ भगवान विष्णु का स्वरूप है। इस महायज्ञ के मूल में राष्ट्र का हित समाहित है। उन्होंने संत की तुलना वृक्ष से करते हुए कहा कि संत और वृक्ष परमार्थ के लिए ही अपना सर्वस्व न्यौछावर करते हैं। उन्हांेने कहा कि संतों के संकल्प में परमार्थ समाहित रहता है। जिस प्रकार वृक्ष में परमार्थ का गुण समाहित रहता है। ठीक उसी प्रकार संतों के संकल्प में मानव मात्र का कल्याण निहित होता है।
इस अवसर पर महायज्ञ के संयोजक आईडी शर्मा शास्त्री ने आये हुए अतिथियों का स्वागत किया। यज्ञ की पूर्णाहूति के अवसर पर आध्यत्मिक विभूति प्रसिद्ध कथा व्यास उत्तम स्वामी, स्वामी सुखदेवानन्द, भारत माता के मंदिर श्रीमहंत ललितानन्द गिरि, लाल माता मंदिर के संचालक भक्त दुर्गादास, राज्यमंत्री विनोद आर्य, पार्षद अनिरूद्ध भाटी, सुरेश केडिया, संतोष अग्रवाल, कैलाश गुप्ता, शरद पुरोहित, डॉ. कृष्णकांत चतुर्वेदी, अभिजीत चतुर्वेदी आदि उपस्थित रहे।



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