योग अनुसंधान में हैं अनन्त संभावनाएं: प्रो. के.एन.एस. यादव




नवीन चौहान.
हरिद्वार। पुनश्चर्या पाठ्यक्रम के 11वें दिन के व्याख्यान का केन्द्र नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन एवं योग के क्षेत्र में अनुसंधान की संभावनाओं पर रहा। संगीत विभाग के चन्द्रमोहन, सुश्री सिमरन, विनोद द्वारा वक्ताओं का सम्मान स्वागत गीत से किया गया। कार्यक्रम का विधिवत आरम्भ सद्बुद्धि का मन्त्र गायत्री मन्त्र से हुआ।

पतंजलि विश्वविद्यालय की कुलसचिव डॉ. प्रवीण पुनिया ने प्रथम सत्र में प्रतिभागियों को नई शिक्षा नीति-2020 के प्रमुख बिन्दुओं से अवगत कराने के साथ-साथ इस दिशा में चल रहे पतंजलि विश्वविद्यालय के प्रयासों की भी चर्चा की। अपने सम्बोधन में उन्होंने इस पाठ्यक्रम के अर्न्तगत विद्वानों द्वारा कहे गये अनुकरणीय बिन्दुओं को भी साझा किया।

द्वितीय सत्र का व्याख्यान पतंजलि वि.वि. के सलाहकार एवं विभिन्न विश्वविद्यालयों में कुलपति के पद को सुशेभित कर चुके प्रो. के.एन.एस. यादव जी द्वारा दिया गया। उन्होंने अनुसंधान के प्रकार, शोध समस्या, शोध अभिकल्प सहित अनुसंधान की सम्पूर्ण प्रक्रिया पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए प्रतिभागियों को निरन्तर दूसरे विद्वानों के शोध पत्रों को पढ़ने की सलाह दी।

तृतीय सत्र में इसी विश्वविद्यालय के संकायाध्यक्ष शोध एवं शिक्षण डॉ. वी.के.कटियार जी ने गणित एवं जीव विज्ञान की अन्तःक्रिया की व्याख्या करते हुए जैवगणितीय मॉडल को समझाया। उन्होंने जैवयांत्रिकी की महत्ता, संक्षिप्त इतिहास पर प्रकाश डालते हुए परम पूज्य स्वामी रामदेव जी द्वारा निर्दिष्ट प्राणायामों की यांत्रिकी को भी समझाया।

इस अवसर पर कार्यक्रम संयोजक प्रति-कुलपति प्रो. महावीर अग्रवाल, सह-संयोजिका कुलानुशासिका साध्वी डॉ. देवप्रिया, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रो. ओझा, प्रो. पारन, स्वामी परमार्थदेव, डॉ. निर्विकार, स्वामी आर्शदेव सहित वि.वि. के विभिन्न संकायों के आचार्य एवं शोध छात्र उपस्थित रहे। सत्रों का सफल संचालन डॉ. भागीरथी, डॉ. बिपिन दूबे एवं डॉ. नरेन्द्र सिंह द्वारा किया गया।



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