घायल शेरनी बृजरानी लेगी हरदा से बदला




हरिद्वार। प्रदेश के मुखिया और हरिद्वार ग्रामीण सीट से कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी हरीश रावत राजनीति के माहिर खिलाड़ी है। किसी व्यक्ति का कहां और कैसे इस्तेमाल करना है हरदा बेहतर जानते है। सत्ता संभालने से लेकर टिकट बंटवारे में उन्होंने कई शातिर चाल चलकर अपने विरोधियों और अपने खास लोगों के मुंह बंद कर दिये। उन्हीं हरदा की सियासत का शिकार हुई पूर्व कांग्रेस नेत्री बृजरानी ने कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। बृजरानी ने पार्टी से बगावत कर ज्वालापुर सीट पर निर्दलीय चुनाव लड़ने और कांग्रेस प्रत्याशी एसपी सिंह इंजीनियर को चुनाव में पटखनी देने की ठान ली है। बृजरानी कांग्रेस प्रत्याशी को हराने और ज्वालापुर सीट पर जीत दर्ज कर हरदा को सबक सिखाने के लिये धुंआधार तरीके से क्षेत्र में जनसंपर्क कर रही है। क्षेत्र में जनता की ओर से उनको काफी प्यार और समर्थन मिल रहा है। उनके द्वारा क्षेत्र में कराये गये विकास कार्यो की बदौलत जनता उनके साथ खड़ी दिखाई पड़ रही है।
हरीश रावत के काफी नजदीकि मानी जाने वाली पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष बृजरानी पिछले काफी अरसे से कांग्रेस पार्टी में सक्रिय नेता के रुप में कार्य कर रही थी। हरीश रावत के लोकसभा चुनाव में बृजरानी ने बेहतर भूमिका निभाकर उनके लिये वोट मांगे। हरदा को जीत दिलाकर सांसद बनवाने में महती भूमिका अदा की। इसके साथ ही बृजरानी कांग्रेस पार्टी के सभी कार्यक्रमों में हरदा के साथ कदमताल करती हुई पार्टी को मजबूत करने में लगी रही। हरदा की ओर से बृजरानी को ज्वालापुर सीट पर कांग्रेस का टिकट दिलाने का भरोसा दिया गया। बृजरानी हरदा की बातों पर यकीन करते हुये क्षेत्र में कांग्रेस को मजबूत करने में लगी रही। उन्होंने क्षेत्र में जनता के लिये सड़क, बिजली, पानी और कई समस्याओं का निस्तारण कराकर जनता को राहत दी। इसके साथ ही हरदा के संकट की घड़ी में भी बृजरानी ने उनका साथ नहीं छोड़ा। वह भगवानपुर उपचुनाव में ममता राकेश को जिताने और सत्ता की कुर्सी बचाने तक हरदा के साथ हर मोर्चो पर मौजूद रही। लेकिन उनके विश्वास को ठेस तब लगी जब ज्वालापुर सीट पर उनका टिकट काटकर एसपी सिंह इंजीनियर को थमा दिया गया। बृजरानी को जब ये मालूम हुआ कि हरदा ने तो उनका नाम हाईकमान के पैनल में ही नही रखा तो उनका दिल कांग्रेस पार्टी से टूट गया। बृजरानी को हरदा की सियासत का शिकार होने का पता चल गया। इस सबके बाद भी बृजरानी ने हार नहीं मानी और खुद को संभालते हुए अपने समर्थकों के कहने पर निर्दलीय चुनाव लड़“ने का फैसला कर दिया। बृजरानी के समर्थकों का कहना है कि हरदा ने धोखा दिया है। इस धोखे का बदला कांग्रेस प्रत्याशी को हराकर लिया जायेगा। आपको बताते चले कि बृजरानी को बसपा और भाजपा दोनों ही पार्टियों से टिकट मिल रहा था। लेकिन हरदा की बफादार नेत्री ने कांग्रेस का दामन नहीं छोड़ा। जब कांग्रेस से धोखा मिला तो वह घायल शेरनी की तरह से चुनावी मैदान में कूद गई है। बृजरानी अपनी जीत दर्ज करने के लिये लगातार जनसंपर्क कर रही है। जनता को अपने द्वारा कराये गये विकास कार्य को याद कराया जा रहा है।
कैडर वोट का नहीं होना कमजोरी
हरिद्वार। निर्दलीय चुनाव लड़कर विधानसभा पहुंचना बृजरानी के लिये किसी चुनौती से कम नहीं है। पार्टी का कैडर वोट अब उनसे दूर है। लेकिन चुनावी मैदान में उनकी ताल कांग्रेस प्रत्याशी एसपी सिंह इंजीनियर की जीत को हार में बदल सकता है। बृजरानी की क्षेत्र में मजबूत पकड़ है। वह कई सालों से जनता के बीच में है। यह उनका मजबूत आधार है। जबकि पार्टी का नाम, चुनाव चिंह और कैडर वोट का नहीं होना उनकी कमजोरी भी है।


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