विजय सक्सेना
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में भाजपा समर्थित प्रत्याशियों के नामों की सूची भाजपा विधायकों की रायशुमारी के बाद की गई। भाजपा विधायकों ने ही अपने—अपने क्षेत्रों में चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों के नामों की पैरोकारी की। जिलाध्यक्ष जयपाल सिंह चौहान ने तो महज नाम घोषणा करने की रस्म अदायगी की। ऐसे में अब भाजपा कार्यकर्ताओं का गुस्सा जिलाध्यक्ष पर फूट रहा है। हद तो तब हो गई जब भाजपा के कार्यकर्ताओं ने टिकट नही मिलने पर जिलाध्यक्ष से अभद्रता की और चालक के साथ भी बदसलूकी की गई। लेकिन शांति प्रिय जिलाध्यक्ष जयपाल सिंह चौहान ने अपने कार्यकर्ताओं को भावनाओं और पार्टी से टिकट मिलने की उम्मीद की अपेक्षाओं को अपने तरीके से समझा— बुझाकर शांत किया।
विधानसभा चुनाव में हरिद्वार जनपद में भाजपा को काफी नुकसान उठाना पड़ा था। हरिद्वार ग्रामीण सीट पर केबिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद खुद चुनाव हार गए। जबकि लक्सर से उनके प्रिय मित्र संजय गुप्ता को भी हार का मुंह देखना पड़ा। भाजपा की हार का सिलसिला यही तक नही रूका। कलियर सीट पर मुनीष सैनी और झबरेड़ा में देशराज कर्णवाल, ज्वालापुर में सुरेश राठौर और भगवानपुर में मास्टर सत्यपाल सिंह विधानसभा चुनाव हार गए। विधानसभा चुनाव में हरिद्वार जनपद से भाजपा को काफी नुकसान हुआ। ऐसे में इस नुकसान की भरपाई के लिए पंचायत चुनावों में जीत दर्ज करने की जिम्मेदारी भी विधायकों को ही दी गई।
जिसके चलते प्रदेश स्तर पर भाजपा प्रत्याशियों के नामों में कोई खास दखलअंदाजी नही रही। भाजपा के 43 प्रत्याशियों की सूची में जो नाम सामने आए है, वो विधायकों के ही करीबी है। ऐसे में भाजपा समर्थित प्रत्याशियो में जिलाध्यक्ष जयपाल सिंह चौहान का कोई हस्तक्षेप दिखाई नही पड़ता। हालांकि भाजपा कार्यकर्ताओं का जिलाध्यक्ष से नाराजगी करना, भाजपा परिवार का अंद्धरूनी मामला है। जिलाध्यक्ष से अपेक्षा भी जायज है। लेकिन साफ छवि के जिलाध्यक्ष जयपाल सिंह चौहान खुद अपने लिए विधानसभा का टिकट नही ला पाए। ऐसे में अपना दर्द किए बताए। फिलहाल तो पंचायत चुनाव में विधायकों को अपने चहेतों को जिताने की जिम्मेदारी जरूर मिल चुकी है।