नवीन चौहान, हरिद्वार। बेटे को बड़ा आदमी बनाने की चाहत में गरीब पिता ने मजदूरी करके उसे पढ़ाया। बेटे ने भी पिता के अपमानों को पूरा करने के लिये मन लगाकर पढ़ाई की और इंजीनियरिंग करने लगा। लेकिन पड़ोसियों को बेटे की उच्च शिक्षा से जलन होने लगी। इसी जलन ने रंजिश पैदा दी। पड़ोसी ने मामूली पानी की नाली के विवाद में उस गरीब मजदूर के बेटे की हत्या कर दी। बेटे को खो देने के गम में डूबे पिता ने उसे इंसाफ दिलाने की ठान ली और कोर्ट की शरण ली। जिसके बाद हरिद्वार जिला एवं सत्र न्यायाधीश राजेंद्र सिंह चौहान ने पीड़ित पिता को इंसाफ दिया। तमाम सबूतों और गवाहों के बयान सुनने के बाद पांच आरोपियों को दोषी पाते हुये आजीवन कारावास की सजा सुनाई तथा 54 हजार का जुर्माना लगाया है। जबकि 4 आरोपी महिलाओं को सबूतों के अभाव में दोषमुक्त कर दिया गया हैं। कोर्ट के फैसले से पीड़ित परिवार के लोगों के चेहरे पर खुशी तो है पर बेटे को खो देने का गम आज भी हैं। कोर्ट से इंसाफ मिलने के बाद ये मुस्लिम परिवार आज जिला जज को भगवान मान रहा हैं। जिला जज के लंबे जीवन की कामना करता है। घटना मंगलौर की हैं।
थाना मंगलौर के ग्राम बुक्कनपुर निवासी शाहनवाज भाई शाहनजर और पिता शफील के साथ रहता था। झोझा बिरादरी से ताल्लुक रखने वाला शफील बहुत गरीब परिवार था। शफील मजदूरी करके बेटे शाहनजर को बीटेक की पढ़ाई कराने लगा। इसके पड़ोस में रहने वाले जमील के पुत्र आकिल, साजिद, रईस, जाकिर तथा मेहरबान पुत्र असगर शाहनजर की पढ़ाई से जलन रखने लगे। उक्त सभी लोग पानी की नाली को लेकर शाहनजर से विवाद करने लगे। 4 जून 2011 की सुबह 8 बजे आकिल के परिवारजनों ने पानी को बंद कर दिया। शाहनजर ने नाली बंद करने के मना कर दिया। जिस पर आरोपी मेहरबान, आकिल, जाकिर, साजिद,रईस, नुसहत, दिलशाना, रेशमा व अख्तरी गाली गलौच करते आये और शाहनजर के घर घुस गये। साजिद, जाकिर,रईस व मेहरबान ने शाहनजर को पकड़ लिया और आकिल ने तमंचे से गोली चला दी। जिसके बाद उसे धमकी देकर वह सभी चले गये। शाहरनजर के गोली लगने पर उसे घायल अवस्था में रूड़की अस्पताल ले जाया गया जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया गया। मृतक शाहनजर के भाई शाहनवाज ने मंगलौर कोतवाली में मुकदमा दर्ज करा दिया। तत्कालीन कोतवाली प्रभारी निरीक्षक महेंद्र सिंह नेगी ने मुकदमे की विवेचना की। विवेचनाधिकारी महेंद्र सिंह नेगी ने हत्याकांड में शामिल रहे सभी नौ आरोपियों के खिलाफ एकराय होकर घर में घुसने, गाली गलौच करने व हत्या करने और जान से मारने की धमकी देने के आरोप में चार्जशीट कोर्ट में पेश की। करीब सात साल तक केस में सुनवाई हुई। जिला अधिवक्ता इंद्रपाल बेदी ने बताया कि अभियोजन पक्ष की ओर से 13 गवाह कोर्ट में पेश किये गये। जबकि बचाव पक्ष की ओर से 9 गवाह कोर्ट में पेश किये गये। जिला एवं सत्र न्यायाधीश राजेंद्र सिंह चौहान ने दोनों पक्षों को सुनने व सबूतों को देखने के बाद पांच आरोपी आकिल, साजिद, रईस, जाकिर व मेहरबान को दोषी पाते हुये आजीवन कारावास की सजा सुनाई तथा 54 हजार का जुर्माना लगाया। जबकि नुसरत, अख्तरी, दिलशाना, एवं रेशमा को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। आकिल को तमंचा रखने का दोषी पाते हुये 3 साल की कैद और 2 हजार का जुर्माना लगाया है। कोर्ट के इस फैसले के बाद से पीड़ित का परिवार जज को भगवान मान रहा है। उनकी आंखों में फैसले की खुशी तो बेटे को खो देने का गम हैं।