मेरठ। पेड़ पौधों को भी सर्दी सताती है। सर्दी के असर से फलदार पेड़ पौधों पर प्रतिकूल असर होता है। साथ ही यदि सही देखभाल न की जाए तो कई प्रकार के रोग और कीट भी फसल को नुकसान पहुंचाते हैं। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि यदि किसान समय से अपने पौधों का प्रबंधन कर लें तो न केवल नुकसान से बचा जा सकता है बल्कि अधिक और गुणवत्तायुक्त उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।
भारतीय कृषि प्रणाली संस्थान मोदीपुरम के प्रधान वैज्ञानिक पुष्पेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि दिसम्बर माह में शीर्षारंभी क्षय अथवा डाइ-बैक के लक्षण दिखना सामान्य है। इसलिए सबसे पहले मृत ऊतकों से लेकर स्वस्थ्य हरे भाग की 5-10 सेंटीमीटर की कटाई करनी चाहिए और फिर कॉपर आक्सीक्लोराइड 3 प्रतिशत का 15 दिनों के अन्तराल पर दो बार छिड़काव करना चाहिए। इस माह के दौरान बगीेच में जुताई कर खरपतवार को निकाल दें जुताई से मिलीबग कीट, फल मक्खी, गुजिया कीट के अंडे और प्यूपा नष्ट हो जाते हैं, जिससे इन कीटों को नियंत्रित करने में सहायता मिलती है। मिलीबग कीट को वृक्षों पर चढ़ने से रोकने के लिए 30—45 सेमी चौड़ी 400 गेज की पॉलीथिन को जमीन से 40-60 सेमी ऊपर तने पर बांधना चाहिए।
इसके अतिरिक्त जिन पेड़ों में गोंदार्ति (गमोसिस) की समस्या दिखाई दे उनके प्रभावित भागों को खुरचकर वोर्डोलेप कापर सल्फेट: बुझा हुआ चूना: पानी का 1:1:10 के अनुपात में प्रयोग करें। शूट गालमिज से प्रभावित शाखाओं को काटकर नष्ट कर दें। फोमा ब्लाइट से बचाने के लिए कॉपर आक्सीक्लोराइड़ 3 ग्राम प्रति लीटर का छिड़काव करे। समय से पहले निकलने वाले पुष्प गुच्छों को काटकर अलग कर दें तथा सिंचाई बंद कर दें। दिसम्बर के महीने में 10 वर्ष से ज्यादा आयु के वृक्षों में 1500 ग्राम फास्फोरस तथा 1000 ग्राम पोटाश प्रति वृक्ष की दर से दे। साथ में गोबर की अच्छी तथा तहर से सड़ी खाद 30-40 किग्रा प्रति वृक्ष का प्रयोग अवश्य करें।
भारतीय कृषि प्रणाली संस्थान मोदीपुरम केंद्र के निदेशक डॉ सुनील कुमार ने बताया कि बागवानी करने वाले किसानों को समय समय पर केंद्र के वैज्ञानिक प्रशिक्षण देते हैं और किसानों की बागवानी संबंधी समस्याओं का समाधान करते हैं। किसानों के खेत और बागों में भी जाकर केंद्र के वैज्ञानिक रोग और कीट की पहचान कर उनके निदान के बारे में विस्तार से जानकारी देते हैं ताकि किसानों को अच्छा उत्पादन मिल सके।