दीपक चौहान
हरिद्वार के एक गांव अजीतपुर मे दो झोटों में जबरदस्त लड़ाई हो गई। झोटों के इस आपसी झगड़े में एक झोटा जख्मी हो गया। जिसके बाद दूसरे पक्ष के व्यक्ति ने घायल करने वाले झोटे को अपने घर बांध लिया। बंधक झोटे को छुड़ाने के लिए दूसरे पक्ष ने जगजीतपुर पुलिस से मदद की गुहार लगाई। पीड़ित की समस्या सुनने के बाद चौकी पुलिस ने एक कांस्टेबल को मौके पर भेजा और बंधक झोटे की स्थिति की जानकारी ली। गांव के प्रधान ने भी दोनों पक्षों में सुलह कराने का प्रयास किया।
पुलिस ने मौके पर जाकर देखा कि झोटे को पहले पक्ष ने घर पर बांधकर रखा हुआ है। जगजीतपुर चौकी के उप निरीक्षक उपेंद्र बिष्ट ने ग्रामीणों को समझाया। दूसरे पक्ष को घायल झोटे का उपचार कराने को कहा। जबकि पहले पक्ष को उनका झोटो वापिस करने की बात कही। पुलिस के तमाम समझाने के बाबजूद दोनों पक्षों में कोई सहमति नही बन पाई। आखिरकार ग्राम प्रधान ने ही दोनों पक्षों पर सुलह कराने की जिम्मेदारी ली। जिसके बाद दोनों पक्ष गांव में पहुंच गए। ग्राम प्रधान ग्रामीणों के मामूली विवादों को सुलझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। इस मामले में पुलिस का सिरदर्द कम करने में ग्राम प्रधान की भूमिका सराहनीय रही।
विदित हो कि इस झोटा प्रकरण में दो कांस्टेबल एक दारोगा ने अपनी डयूटी के तीन महत्वपूर्ण घंटे झोटा विवाद में लगा दिए। सबसे बड़ी बात कि करीब दो दर्जन से अधिक ग्रामीण जगजीतपुर चौकी पर भीड़ के रूप में मौजूद रहे। एक कांस्टेबल को ग्रामीण के घर पर भेजा गया। लेकिन निष्कर्ष पुलिस का सिरदर्द रहा।
यह खबर कोई मंनोरंजन नही है। अपितु यह जनता के लिए विचारणीय है कि पुलिस से हम क्या काम ले रहे है। जनता की सुरक्षा की जिम्मेदारी निभाने वाली पुलिस झोटों के विवाद में उलझी हुई है। पुलिस क्षेत्र में चेकिंग करने की वजाय शराबियों और नशेड़ियों के झगड़े सुलझा रही है। शराब के ठेके के बाद बेहोशी की हालत में पड़े शराबियों को उनके परिजनों अथवा अस्पताल पहुंचा रही है।
आप सोचिएगा जरूर।