कुंभ 2021: निशंक, मदन और यतीश्वरानंद का मिलन, त्रिवेंद्र आउट और ​तीरथ इन





नवीन चौहान
कुंभ पर्व की अनूटी पहचान मिलने और बिछड़ने की जाती है। करीब 12 वर्षो बाद लगने वाले संतों के समागम में तमाम आस्थावान श्रद्धालुओं की भीड़ में कुछ लोग एक दूसरे से जुदा हो जाते थे और अगल कुंभ में मिल जाते थे। जिसके चलते यह कहावत भी प्रचलन में आ गई। कुंभ के बिछड़े अब मिले। लेकिन हाईटेक युग में खोने बिछड़ने की बात अब पुरानी हो चली। लेकिन उत्तराखंड में भाजपा के सियासत की बात करें तो करीब 12 सालों बाद मदन, निशंक और स्वामी यतीश्वरानंद बेहद करीब दिखाई पड़ रहे है। मंच पर एक दूसरे से करीबियां दिखाने का पूरा प्रयास ​कर रहे है। मदन और निशंक का यह मिलन सचमुच में मनोभाव से हुआ है तो भाजपा के लिए शुभ संकेत है। और तीरथ सिंह की डगर आसान है। यदि इस मिलन के पीछे महज त्रिवेंद्र सिंह रावत को आउट करने का ही मिशन था तो भाजपा को सत्ता गंवाने का खतरनाक संकेत भी है।


बीते दिनों उत्तराखंड भाजपा की सियासत में बड़ा भारी तूफान आया। तूफान इतना भयंकर आया कि दिल्ली हाईकमान तक चिंतित हो उठा। भाजपा हाईकमान के दखल के बाद तूफान की शांति नेतृत्व परिवर्तन के विकल्प के रूप में हुई। तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को बदलकर मुखिया की कुर्सी गढवाल सांसद तीरथ सिंह रावत के सुपुर्द कर दी। जबकि हरिद्वार सासंद और केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक दूसरी बार मुख्यमंत्री बनते—बनते रह गए। लेकिन निशंक अपने करीबी और ग्रामीण विधायक स्वामी यतीश्वरानंद को राज्यमंत्री बनाने में कामयाब रहे। सियासी तूफान में सबसे बड़ा फेरबदल मदन कौशिक के प्रदेश अध्यक्ष बनने के रूप में हुआ। भाजपा संगठन के दृष्टिगत उनका कद बहुत ऊंचा हुआ। यहां तक तो सबकुछ ठीक है। और जनता को भी मालूम है। लेकिन सबसे अहम बात इस तूफान के बाद भाजपा के शीर्ष नेताओं में भी मिलन हो गया।
20 मार्च 2021 को मीडिया सेंटर में कुंभ कार्यो के लोकापर्ण अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ​तीरथ सिंह रावत, प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक, केंद्रीय शिक्षा मंत्री व हरिद्वार सांसद डॉ रमेश पोखरियाल निशंक और नव नियुक्त राज्यमंत्री स्वामी यतीश्वरानंद मंच पर मौजूद थे। सभी बेहद प्रफुल्लित थे। चेहरे पर भी मुस्कराहट साफ दिखाई दे रही थी। कार्यक्रम में सभी ने कुंभ को दिव्य और भव्य कराने की बात की। लेकिन दूसरी सबसे चौंकाने वाली बात रही कि कुंभ कार्यो का निरीक्षण करने पहुंचे मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के साथ, डॉ निशंक, मदन और स्वामी यतीश्वरानंद सभी एक साथ एकजुटता के साथ संतों के बीच भी पहुंचे और कुंभ कार्यो की समीक्षा भी की। डॉ निशंक ने साल 2010 के कुंभ कार्यो के अनुभव के आधार पर वर्तमान मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत का मार्गदर्शन किया। तीरथ सिंह रावत ने भी डॉ निशंक के अनुभवों को महसूस करते हुए पूरा ज्ञान लिया। यहां भी सभी बेहद प्रसन्न दिखाई दिए।
लेकिन ऐसे हालात बीते कुछ माह पहले तक नही थे। निशंक ने कुंभ कार्यो के निरीक्षण के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यो पर सवालिया निशान लगाते हुए पैंसों के बर्बादी की बात कही थी। उनका बयान खबरों की सुर्खिया बना था। तब मदन कौशिक शहरी विकास मंत्री थे और कुंभ कार्यो की देखरेख भी वही कर रहे थे। वही मदन आज प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर डॉ निशंक के साथ कुंभ कार्यो का निरीक्षण कर संतुष्टि जाहिर कर रहे है। सियायत के दांव पेंच में यह सबकुछ चलता रहता है। लेकिन अगर इसके सियासी मायने निकाले जाए तो त्रिवेंद्र ही सभी की आंखों में खटक रहे थे। केबिनेट भी वही है और मंत्रियों के विभाग भी वही है। लेकिन अगर कुछ परिवर्तन हुआ है तो निशंक की भूमिका, मदन का कद, स्वामी यतीश्वरानंद की मुस्कराहट और त्रिवेंद्र की कुर्सी।



Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *