महंत मोहन दास के मोबाइल की लोकेशन मेरठ के आसपास




हरिद्वार। धमकियां तो मिलती रहती हैं, किन्तु हमें ऐसी उम्मीद नहीं थी कि ऐसा भी हो सकता है। फर्जी बाबाओं की सूची जारी होनेसे पूर्व आसाराम बापू के समर्थकों ने उन्हें धमकी दी थी। इसी के साथ महंत मोहनदास महाराज को भी धमकी मिली थी। हमने तत्काल इलाहाबाद में रिपोर्ट दर्ज करा दी थी, किन्तु महंत मोहन दास ने ऐसा नहीं किया। यह कहना था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेन्द्र गिरि महाराज का। पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहाकि महंत मोहनदास महाराज के गायब हो जाने के बाद से तरह-तरह की बाते सामने आ रही हैं। कोई उनकी लोकेशन मेरठ बता रहा है तो कोई और अन्य स्थान पर। जबकि सत्यता यह है कि उनके गायब होने के बाद से उनका मोबाइल बंद आ रहा है। इस कारण उनकी लोकेशन का पुलिस को पता नहीं चल पा रहा है। बताया कि वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से उनकी बात हुई है। पुलिस कप्तान का कहना है कि वह उनका पता लगाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।एक टीम पहले ही मेरठ भेजी जा चुकी है। इसके अलावा दूसरी एक और टीम सोमवार को मेरठ भेजी गई है। बताया कि पुलिस का कहना है कि वह सोमवार रात्रि या मंगलवार तक कुछ नतीजे पर अवश्य पहुंच जाएंगे। बता दें कि पुलिस महंत मोहनदास महाराज के संदिग्ध परिस्थितियों में गायब होने के हर पहलू को ध्यान में रखकर जांच कर रही है। पुलिस स्थानीय स्तर पर भी जांच में जुटी है। उनके कारोबार से जुड़े लोगों से भी पुलिस पूछताछ करेगी। श्री महंत नरेन्द्रगिरि महाराज ने बताया जब तक उनके संबंध मेंकोई पुख्ता जानकारी नहीं मिल जाती इस संबध में कुछ नहीं कहा जा सकता है। बताया कि पुलिस मुस्तैदी से जांच में जुटी है और उन्हें उम्मीद है कि सोमवार की रात्रि या मंगलवार तक पुलिस किसी नतीजे पर अवश्य पहुंच जाएगी।
मंहत की गुमशुदगी ने अफवाहों को दी हवा
हरिद्वार। श्री पंचायती अखाड़ा उदासीन के कोठारी महंत मोहनदास के गायब हो जाने के बाद से शहर में व संतों के बीच तरह-तरह की अफवाहों का बाजार गर्म है। कोई उनके एक आश्रम में होने की बात कर रहा है तो कोई उनके मेरठ में होने की बात कर रहा है। कोई अपहरण होना बता रहा है तो किसी का कहना है कि वह स्वंय कहीं चले गए हैं। बहराल जिस प्रकार की चर्चाएं शहर व संतो के बीच चल रही हैं उनमें किसी भी प्रकार की कोई सच्चाई नहीं है। पुलिस कप्तान का कहना है कि उनकी तलाश में पुलिस मुस्तैदी से लगी हुई है। फिलहाल उनके संबंध में कोई जानकारी पुलिस के हाथ नहीं लगी है। महंत मोहनदास का अचानक गायब हो जाना अनेक सवालों को जन्म दे रहा है। कोई उनके रियल स्टेट के कारोबार में शामिल होने को इस घटना से जोड़ रहा है तो कोई अखाड़ा परिषद द्वारा जारी फर्जी बाबाओं की सूची से जोड़कर मामले को देख रहा है। सत्यता क्या है यह तो पुलिस जांच के बाद ही पता चल पाएगी, किन्तु लोगों में यह बात आम है कि एक अखाड़े का संत होने तथा पद पर होने के बाद रियल स्टेट के धंधे में पैर पसारने की आखिर मोहनदास को जरूरत पड़ी थी। और उससे होने वाली मोटी कमाई का वह क्या करते थे। तथा कमाई का वह पैसा जाता कहां था। ऐसा भी नहीं कि उन्होंने कोई धर्मार्थ संस्थान खोला हो जहां कमाई के उस पैसे को लगाते हों। जो धर्मार्थ काम किए जा रहे हैं उनका खर्च अखाड़ा वहन करता है। ऐसे में कमाई का सही आंकड़ा और उस पैसे का उपयोग कहां किया जा रहा था इस बात पर भी पुलिस को ध्यान देना चाहिए।
संतों का आचरण ही बन रहा उनके विवादों का कारण
हरिद्वार। सनातन धर्म में आ रही विक्रतियों के लिए कोई और नहीं स्वंय इसका झंडा उठाने वाले कथित धर्म के ठेकेदार ही जिम्मेदार हैं। एक सनातन धर्म ही ऐसा है जहां सभी को पूरी तरह से कुछ भी करने की आजादी है। ब्रह्मचारी, गृहस्थ चोर, अपराधी सभी भगवा चोला पहनकर संत बन जाते हैं। भगवा पहनने के बाद धर्म शास्त्रों के इतर भी इनको बोलने की खुली आजादी है। हालांकि सभी धर्म अन्य धर्मों का सम्मान करने की बात कहते है।, किन्तु साथ यह भी कहते हैं। कि प्रत्येक परिस्थिति में व्यक्ति को अपने धर्म की रक्षा करनी चाहिए। धर्म की आलोचना भी यहां की जाती है और उसके कट्टर समर्थक भी यहां मौजूद हैं। संत या संन्यास। जहां समानता हो वही संत कहा गया है। किन्तु भगवा पहनने और स्वंय को संत कहलाने के बाद भी भेदभाव यहां कूट कूटकर भरा है। जिसका जीता जागता उदाहरण अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद द्वारा जारी की गई फर्जी बाबाओं की सूची है। सूची में पहले से ही निकाले जा चुके लोगों और जो संत ही नहीं हैं उनके नाम तो शामिल किए गए, किन्तु संन्यास के बाद भी जो पत्नी को लेकर देश-विदेश घुमते हैं, अपने कार्यक्रमों में अजान पढ़वाते हैं, शादी की सालगिरह तथा जन्मदिन बनाते हैं, ऐसे संन्यासियों को सूची से दूर रख परिषद के लोगों ने भेदभाव का उदाहरण समाज के सामने पेश किया। श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी जिसके श्री महंत अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष हैं, के अखाड़े के महामण्डलेश्वर कुुमार स्वामी के उक्त कृत्य कई बार सबके सामने आ चुके हैं। बावजूद इसके ऐसे को श्रेष्ठ बताते हुएकोई कार्रवाई नहीं की गई। विगत सप्ताह लूट व हत्या के प्रयास का आरोपी भगवाधारी करीब दस वर्षों बाद पुलिस के हत्थे चढ़ा। पुलिस उसे कनखल से गिरफ्तार कर पिथौरागढ़ ले गई। बावजूद इसके अखाड़ा परिषद मौन है। और फर्जी बाबाओं की दूसरी सूची दीपावली के बाद जारी करने की बात कह रही है। ऐसे में इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि दूसरी सूची कैसी होगी। जब तक संत अपने आचरण में बदलाव नहीं लाते तक तक सनातन संस्कृति के ह्ास को नहीं रोका जा सकता। साथ ही जिस प्रकार की घटना महंत मोहन दास व पूर्व में अन्य संतों की हत्या के रूप में सामने आता रहेगा।



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