स्वरोजगार के लिए कृत्रिम गर्भाधान तकनीक पर प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ




मेरठ।
भारत सरकार के पशुपालन विभाग की महत्वाकांक्षी योजना के अंतर्गत सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि अवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञानं महाविद्यालय में गुरूवार को मल्टीपर्पस आर्टिफीसियल इनसेमिनेशन तकनीशियन इन रूरल इंडिया (मैत्री) प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया।

यह 90 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम भारत सरकार के राष्ट्रीय गोकुल मिशन के अंतगत आयोजित किया जा रहा है जो कि भारत सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश पशुधन विकास परिषद के माध्यम से वित्त पोषित है। प्रशिक्षण कार्यक्रम में कृत्रिम गर्भाधान के माध्यम से युवाओं को स्वरोजगार हेतु प्रशिक्षित किया जायेगा तथा कृत्रिम गर्भाधान के माध्यम से पशुओं में नस्ल सुधार तथा उनके दुग्ध उत्पादन में वृद्धि कर पशु पलकों की आय दोगुनी करने की दिशा में सार्थक प्रयाश किया जाएगा।

प्रशिक्षण कार्यक्रम देश भर में चयनित संस्थानों और प्रशिक्षण केंद्रों में चलाया जा रहा है। सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि अवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मेरठ को मैत्री प्रशिक्षण के प्रशिक्षण केंद्रों में से एक के रूप में चिह्नित किया गया है। मैत्री प्रशिक्षण 3 महीने का प्रशिक्षण कार्यक्रम है, जिसमें 30 दिनों का सैद्धांतिक प्रशिक्षण विश्वविद्यालय में आयोजित किया जाएगा और उसके बाद जिले के संबंधित पशु चिकित्सा अस्पतालों में 55 दिनों का व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके बाद प्रशिक्षण संस्थान में 5 दिनों का मूल्यांकन होता है। बड़ी संख्या में MAITRIs के प्रशिक्षण से कृत्रिम गर्भाधान के लिए कुशल श्रमशक्ति के निर्माण और कृत्रिम गर्भाधान के कवरेज को बढ़ाने में मदद मिलेगी और गर्भाधान दर में भी वृद्धि होगी। एसवीपीयूएटी अब तक 40-40 उम्मीदवारों के मैत्री प्रशिक्षुओं के तीन बैचों को प्रशिक्षित कर चुका है। वर्तमान बैच विश्वविद्यालय में मैत्री प्रशिक्षण हेतु प्रस्तुत चौथा बैच है जिसमे कुल 40 प्रशिक्षु जनपद शाहजहापुर, एटा तथा लखीमपुर खेरी से प्रशिक्षण हेतु नामित किये गए है।

कार्यक्रम का शुभारम्भ करते हुए विश्विद्यालय के कुलपति डॉ के.के. सिंह ने कहा कि यह परियोजना युवाओं को स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के अलावा नस्ल सुधार के माध्यम से पशुधन की उत्पादकता वृद्धि में सहायक होगी, जिससे कृषकों की आय में वृद्धि होगी। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ बीआर सिंह, अधिष्ठाता डॉ रचना वर्मा, कोर्स निदेशक डॉ विजय सिंह, कोर्स समन्वयक डॉ मनीष शुक्ल, डॉ अखिल पटेल, डॉ अतुल वर्मा तथा डॉ आशुतोष त्रिपाठी का विशेष योगदान रहा।



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