उत्तराखंड की जनता के दुख दर्द में सबसे आगे डॉ निशंक




गगन नामदेव
केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक बेहद ही संवेदनशील व्यक्तित्व के इंसान है। वह अपनी जनता के दुख दर्द में सबसे पहले खड़े होने वाले व्यक्ति हैं। पीड़ितों की तकलीफ को आत्मिक रूप से महसूस करते हैं। उस दर्द को दूर करने का प्रयास करते हैं। डॉ निशंक की यही खूबी उनको अन्य राजनेताओं से अलग करती है। रविवार को ट्रैन हादसे में मृतकों के घर पहुंचे डॉ निशंक बेहद भावुक नजर आए। उनकी आंखे नम दिखाई दी और रेलवे प्रशासन की लापरवाही के चलते आक्रोष भी दिखाई दिया।
भारत की की राजनीति में केंद्रीय शिक्षा मंत्री पद की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभाल रहे डॉ रमेश पोखरियाल निशंक का व्यक्तित्व सादगीपूर्ण है। कठिन संघर्ष और अपनी मेहनत के बलबूते उन्होंने राजनीति के क्षेत्र में मुकाम हासिल किया। उत्तराखंड में स्वस्थ राजनीति की परंपरा की शुरूआत की। गरीबों की सेवा की और जनता की समस्याओं को दूर करने में महती भूमिका अदा। छात्र जीवन में एक सामान्य कार्यकर्ता के तौर पर राजनीति शुरू करने के बाद उत्तराखंड प्रदेश के मुखिया की कुर्सी तक पहुंचे। हरिद्वार में कुंभ—2010 मेले का सफल आयोजन कराकर देश— विदेश में हरिद्वार को ख्याति दिलाई। मुख्यमंत्री रहने के दौरान विकास कार्यों को प्राथमिकता दी। लेकिन निशंक ने अपनी जमीन नहीं छोड़ी। अंहकार से कोसों दूर रहकर अपने कार्यकर्ताओं से नजदीकियां बनाकर रखी। उत्तराखंड में भाजपा को मजबूत करते चले गए। डॉ निशंक ने जिंदगी के किसी भी पल में हार नहीं मानी। डॉ निशंक अपनी गरीबी के दिनों की तकलीफ अच्छी तरह याद रखते हैं। सरोकारों को बखूबी निभाते हैं। वर्तमान में भारत सरकार केंद्रीय मंत्री रहते हुए भी अपने पुराने दिनों को कभी नहीं भूलते। इसी के चलते डॉ निशंक उत्तराखंड की जनता के बीच विशेष सम्मान पाते हैं। एक पत्रकार, कवि हृदय के तौर पर डॉ निशंक सभी के बीच लोकप्रिय हैं। लेकिन जनता के दुख दर्द को समझने और उनको दूर करने के प्रयासों को लेकर डॉ निशंक की कार्यशैली उनको अन्य सभी राजनेताओं से जुदा करती है।
स्पर्श गंगा मिशन से हो रही गंगा सफाई
स्पर्श गंगा मिशन बनाकर गंगा की सफाई पर चल रहा विशेष कार्य उनकी दूरदर्शिता को दर्शाता है। गौमुख— गंगौत्री से लेकर कलकत्ता तक स्पर्श गंगा ​के तहत गंगा को प्रदूषित होने से बचाने के लिए चल रहे अभियान से लोगों में जागरूकता आई है। इसी का परिणाम है कि लोग अभियान चलाकर गंगा से कूड़े को निकालकर सफाई अभियान चला रहे हैं। सफाई करने वालों का कारवां लगातार बढ़ता रहा है।



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