हरिद्वार। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट कैशलैश और जीएसटी की कांवड़ मेले में खूब धज्जियां उड़ाई गई। अरबों का लेनदेन नकदी में हुआ। जबकि किसी कांवड़िये को कोई बिल नहीं दिया गया। जिसके चलते सरकार को कांवड़ मेले में दुकानदारों की हुई सेल से कोई लाभ मिलने वाला नहीं है। विभागीय अधिकारियों द्वारा इस बात को देखा ही नहीं गया कि दुकानदार बिल दे रहे हैं या नहीं।
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के काफी जतन कर रहे है। देश से भ्रष्टाचार का खात्मा हो जाये इसके लिये कैशलैस की व्यवस्था को लागू करने का प्रयास कर रहे है। कारोबार करने वालों को एक देश एक कर में बांधने के लिये जीएसटी लागू कर दिया गया। इस कानून को देश में प्रभावी तरीके से लागू करने के लिये जनता को जागरुक किया जा रहा है। लेकिन हरिद्वार के कांवड़ मेले में इस कानून की खूब धज्जियां उडाई गई। जिसकी मर्जी आई उसने कारोबार किया। अपनी जेब भरी और देश और राज्य सरकार को कर का चूना लगा दिया। प्रशासन की माने तो इस कांवड़ मेले में साढ़े तीन करोड़ कांवड़ियों ने यात्रा की। प्रशासन के हिसाब से ही आंकड़ा निकाले तो एक कांवड़िये ने एक हजार रुपया प्रतिदिन हरिद्वार में खर्च किया। इस हिसाब से कांवड़ मेले में साढ़े तीन हजार करोड़ का लेनदेन नकद में हुआ। अर्थात बाजार में नकद में हुये लेनदेन के चलते कालेधन की खेप बढ़ गई। अब बात करते है जीएसटी की तो कोई बिल नहीं काटा गया। इसका मतलब ये हुआ कि सरकार को कोई कर की प्राप्ति नहीं हुई। सरकार की आंखों के सामने ही सब कारोबार नकद में बिना बिल के ही चलता रहा। इस कारोबार के लिये कोई लाईसेंस नहीं लिया गया। कारोबार अस्थायी है तो कारोबारियों की पहचान करना मुश्किल है। अब इस हालात में भीड़ तंत्र के सामने सिस्टम को प्रभावी तरीके से लागू कराना एक चुनौती बना हुआ है।
स्टोरी- नवीन चौहान