ब्रह्मविद्या भारत का ब्रह्मास्त्र: स्वामी विज्ञानानन्द सरस्वती




हरिद्वार। महामण्डलेश्वर स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती जी महाराज ने कहा है कि ब्रह्मविद्या भारत का ब्रह्मास्त्र है और देववाणी संस्कृत, संस्कृति एवं संस्कारों की जननी है जिसने भारत को नई पहचान देकर विश्व में प्रतिष्ठित किया है। भारत महाशक्ति बनकर विश्व में उभर रहा है तथा नैतिक एवं चारित्रिक दृष्टि से विश्व में आज भी भारत अद्वितीय है। वे आज विष्णु गार्डन स्थित श्री गीता विज्ञान आश्रम में स्वामी विज्ञानानन्द संस्कृत विद्यालय के शुभारम्भ अवसर पर वैदिक ब्राह्मणों, साधकों एवं विद्यार्थियों को सम्बोधित कर रहे थे।

राष्ट्र और समाज के लिए संस्कृत भाषा की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए उन्हांेने कहा कि श्रावण शुक्ल नवमी मंगलवार को शुभ अवसर मानते हुए इस विद्यालय में संस्कृत भाषा के साथ ही संस्कारित शिक्षा, नैतिक, चारित्रिक उत्थान एवं संस्कृत भाषा कम्प्यूटर तथा आंगल भाषा का ज्ञाता बनकर विश्व स्तरीय प्रतिभा बनकर उभरे और सम्पूर्ण विश्व में भारतीय भाषा का परचम लहराये यही विद्यालय स्थापना का हेतु है। मनुष्य को विचारशील प्राणी बताते हुए कहा कि ममता, सुन्दरता, वीरता, एकता और पटुता में कई पशु भी मानव से उत्तम हैं लेकिन भाषा विचार एवं विद्वता ही व्यक्ति को समाज में श्रेष्ठ बनाती है और हमारा देश विश्व में आदर्श स्थापित करे इसके लिए श्री गीता विज्ञान आश्रम ने यह अनूठी पहल प्रारम्भ की है उन्होंने सभी विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए कहा कि हमारे विद्यार्थी अपनी अलग पहचान बनायेंगे।
श्री गीता विज्ञान आश्रम के महामंत्री गीता मनीषी आचार्य श्याम ने विद्यालय एवं विद्यार्थियों के स्वर्णिम भविष्य की कामना करते हुए कहा कि संस्कृत जन-जन की भाषा बने यही इस विद्यालय का उद्देश्य है और संस्कृत की प्राचीन पद्धति को संरक्षित रखते हुए नवीनतम तकनीकि ज्ञान तथा अन्य भाषाओं से जोड़ना ही इस विद्यालय की प्राथमिकता होगी। उदासीन संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. नारायण पण्डित ने संस्कृत को सभी भाषाओं की जननी बताते हुए कहा कि देवभूमि उत्तराखण्ड एवं हिमालय संस्कार एवं संस्कृति का संवाहक है और श्री स्वामी विज्ञानानन्द सरस्वती ने जो नई पहल प्रारम्भ की है इससे निश्चित ही हमारी युवा पीढ़ी नैतिक चारित्रिक एवं संस्कारित दृष्टि से और मजबूत होगी। विद्यालय के प्रबंधक शिवओम आचार्य ने विद्यालय की प्राथमिकताएं बताते हुए कहा कि प्रारम्भ में 25-30 विद्यार्थियों को छठी से लेकर आठवीं तक संस्कृत पाठ्यक्रम के साथ ही योग, कम्प्यूटर, संगीत एवं आंगल भाषा में भी पारंगत किया जायेगा ताकि स्वामी विज्ञानानन्द संस्कृत विद्यालय के छात्र देश के साथ ही विदेशों में भी भारतीय विद्या का प्रचार-प्रसार कर सकें। इससे पूर्व विद्यालय के संस्थापक महामण्डलेश्वर स्वामी विज्ञानानन्द सरस्वती के सानिध्य तथा यज्ञाचार्य पं. रामकुमार शास्त्री के आचार्यत्व में विश्व कल्याण महायज्ञ का आयोजन कर सम्पूर्ण विश्व के कल्याण की कामना की। इस अवसर पर दिनेशचन्द शास्त्री, कोठारी बाबा सियाराम, बाबा अवधेश, टेकमोहन पंत तथा आश्रम व्यवस्था से जुड़े सेवादानी, विद्यालय समिति के पदाधिकारी तथा भक्त उपस्थित थे।



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