कुंभ महापर्व में होता है भारत का पूर्ण दर्शन, जानिए पूरी खबर




अनुराग गिरि 

ऋषिकेश। विश्व के 8 देशों से आये सैलानियों के दल ने परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष Swami Chidanand Saraswati से मुलाकात कर आशीर्वाद प्राप्त किया। इस दल के लगभग सभी सदस्य योग प्रशिक्षक एवं योग साधक है। वे योग की नगरी ऋषिकेश में रहकर योग, प्राणायाम और भारतीय दर्शन को आत्मसात कर रहे है।
योगियों का यह दल न्यूयार्क की डेबी के मार्गदर्शन में भारत आकर योग और आयुर्वेद के साथ भारतीय संगीत की विभिन्न विधाओं का भी प्रशिक्षण ले रहा है।


Swami Chidanand Saraswati Maharaj ने कहा कि योग, आयुर्वेद, ध्यान एवं भारतीय संस्कृति को आत्मसात करने के साथ यहां के पर्यावरण और नदियों के संरक्षण का संदेश लेकर जायें। पर्यावरण एवं नदियों के संरक्षण के क्षेत्र में कार्य करने के लिये प्रेरित करते हुये कहा कि वैश्विक स्तर पर घटता भूजल स्तर और प्रदूषित होती प्राणवायु ऑक्सीजन के लिये मिलकर कार्य करने की जरूरत है। योग की शक्ति और ऊर्जा को प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण में भी लगाये तभी सुरक्षित भविष्य की कल्पना की जा सकती है।Swami Chidanand Saraswati Mahara ने कहा कि योग जीवन पद्धति है तथा जल और वायु जीवन है। वर्तमान समय में प्रदूषित होती वायु और घटता जल स्तर भविष्य में जीवन पर आने वाले संकट को दर्शा रहा है इसलिये अपनी अपनी सामर्थ्य एवं तकनीकी के आधार पर इस दिशा में कार्य करे। प्रकृति के साथ जुड़े और जोड़े तो निश्चित ही विलक्षण परिणाम प्राप्त होगें।


भारतीय संस्कृति और भारतीय दर्शन को जानने के इच्छुक इस दल को स्वामी चिदानंद सरस्वती ने 2019 में प्रयाग एवं 2021 में हरिद्वार, उत्तराखण्ड में होने वाले कुम्भ मेला में सहभाग हेतु भारत में आमंत्रित किया और कहा कि वास्तविक भारत का दर्शन कुम्भ मेला में ही होता है। कुम्भ मेला में भारतीय संस्कृति, अध्यात्म, दर्शन समाहित है।
सैलानियों ने परमार्थ निकेतन का भ्रमण किया तथा यहां पर प्रतिदिन होने वाली आध्यात्मिक गतिविधियों के विषय में जानकारी प्राप्त की। दल के सभी सदस्यों ने परमार्थ गंगा तट पर होने वाली दिव्य गंगा आरती में सहभाग किया।
विश्व स्तर पर स्वच्छ जल की आपूर्ति होती रहे इस भावना से स्वामी जी महाराज के साथ वाटर ब्लेसिंग सेरेमनी सम्पन्न की और सभी ने मानव श्रंखला बनाकर हाथों में हाथ लिये पर्यावरण एवं नदियों के लिये मिलकर कार्य करने का संकल्प लिया।



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