मोक्ष प्राप्ति का सबसे बड़ा मूल मंत्र, जानिए पूरी खबर




नवीन चौहान, 

– सच्चाई और ईमानदारी का जीवन ही असली प्रभु भक्ति
– नास्तिक और आस्तिक दोनों ही होते है प्रभु की संतान

हरिद्वार। मनुष्य खुद को नास्तिक और आस्तिक बताकर समाज में भले ही चर्चा करता हो। लेकिन मनुष्य की जिंदगी और मौत सृष्टि के रचियता अर्थात तीसरी शक्ति के हाथों में ही होती है। जिसे मानव जगत ईश्वर और अल्लाह का नाम देता है। जीवन और मृत्यु के बंधन से मुक्ति से पूर्व मनुष्य को अपनी मृत्यु का पूर्ण आभास होता है। सृष्टि को चलाने वाली तीसरी शक्ति ही मानव को उसके कर्मानुसार जीवन और मरण के बंधन से मुक्त करती हैं। मृत्यु के क्षण भी व्यक्ति के कर्म उसका पीछा नहीं छोड़ते है। अंतिम समय में जो व्यक्ति सांसारिक मोह का त्याग कर उसकी तीसरी शक्ति अर्थात ईश्वर को स्मरण करता है। वह मोक्ष को प्राप्त होता है।
संसार में जन्म लेने वाला हर जीव प्रभु की संतान होता है। प्रभु की कृपा सदैव अपनी संतान पर बनी रहती है। लेकिन मोह माया में लिप्त व्यक्ति सांसारिक सुखों के बीच भटक जाता है। व्यक्ति दोहरा आवरण धारण कर लेता है। भीतरी आवरण से मानव झूठ, छल, कपट और अपने स्वार्थ में लिप्त अपने फायदे नुकसान का हिसाब रखने लगता है। जबकि बाहरी आवरण में खुद को प्रभु का भक्त दिखाने का प्रयास करता है। लेकिल वास्तविकता में मानव होश हवाश में प्रभु को भूल जाता है। मुसीबत के वक्त मनुष्य प्रभु से मदद की गुहार लगाता है। प्रभु अपनी संतान के लोभ लालच में लिप्त होने की मनोदशा को जानने के बाद भी उसकी मदद करते है। मनुष्य का जीवन चक्र चलता रहता है। आखिरकार वो वक्त भी आता है जब मानव के शरीर की इंद्रिया कार्य करने में कमजोर पड़ जाती है। उस वक्त भी शरीर से कमजोर मानव अपने दिमाग का प्रयोग प्रभु भक्ति में ना लगाकर मोह, लोभ लालच में ही लगाकर रहता है। सांसारिक जीवन में तो मनुष्य सुखी दिखाई देता है लेकिन प्रभु के बहीखाते में उसकी अनुपस्थिति ही दर्ज रहती है। प्रभु के दरबार में गैर हाजिर रहने वाले लोग इस सांसारिक जीवन चक्र में ही उलझे रहते है। उनको कभी मुक्ति नहीं मिल पाती है। वही दूसरी ओर बिना लालच के दूसरों की मदद करने वाले मानव और ईमानदारी से अपने कर्तव्य का पालन करने वाले मनुष्य प्रभु के दरबार में अपनी उपस्थिति दर्ज कराते रहते हैं। सच्चाई और ईमानदारी के रास्ते पर चलने वाले लोग प्रभु के सबसे ज्यादा नजदीक होते है। उन पर सदा प्रभु की कृपा बनी रहती है। ऐसे लोगों को मृत्यु के उपरांत मोक्ष की प्राप्ति होती है।



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