नवीन चौहान,
हरिद्वार। बच्चों के एक सवाल पर अभिभावक पूरी तरह से चुप्पी साधे हुये है। नये सत्र में नई पुस्तकों और नये बैग के साथ स्कूल जाने की बच्चों की खुशी चेहरे से गायब है। सरकार के एक फैसले से नाराज निजी स्कूल हड़ताल पर है। ये स्कूल कब खुलेंगे इसका जबाव ना स्कूल प्रशासन के पास है और ना ही अभिभावकों के पास है। फिलहाल बच्चे घरों में ही रहने को विवश है। जबकि निजी स्कूल सरकार से बातचीत कर समाधान निकलने का इंतजार कर रहे है।
वित्तीय वर्ष 31 मार्च आने के साथ ही एक अप्रैल से नया शिक्षण सत्र शुरू हो गया है। गत वर्ष का रिजल्ट मिलने के बाद नये सत्र में स्कूल जाने की बच्चों में विशेष खुशी होती है। नई पुस्तक और नया स्कूल बैंग बच्चों के उत्साह को और बढ़ाता है। लेकिन इस बार उत्तराखंड में नये शिक्षण सत्र पर फिलहाल तो ग्रहण लगा है। बतादें कि उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने निजी स्कूलों में एनसीआरटी की पुस्तके नये सत्र से लागू कर दी है। इसके अलावा निजी स्कूलों की मनमानी को रोकने के लिये कुछ कठिन फैसले लिये गये है। सरकार के इन फैसलों से निजी स्कूल और सरकार के बीच जंग छिड़ी है। निजी स्कूल सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुये है। वही सरकार के मंत्री इसे अपनी जीत के रूप में ले रहे है। इस सबके बीच स्कूली बच्चों घरों में कैद होकर रह गये है। बच्चे अपने अभिभावकों से पूछ रहे है कि स्कूल कब जाना है। इस सवाल का जबाव अभिभावको ंके पास नहीं है। स्कूल किस बात को लेकर बंद है ये बात बच्चों की समझ से परे की है। इस मामले में निजी स्कूल भी सरकार के सामने सरेंडर करने को कतई तैयार नहीं है। जबकि सरकार के मंत्री निजी स्कूलों में एनसीआरटी की पुस्तकों को लागू कराकर जश्न मना रही है। देखना होगा कि सरकार और निजी स्कूलों के बीच छिड़ी इस जंग में बच्चों के चेहरों पर खुशी कब आयेगी।