टेंशन में तराई पुलिस और छुट्टी पहाड़ की पुलिस को




नवीन चौहान
उत्तराखंड में पुलिसकर्मियों को साप्ताहिक छुट्टी का तोहफा मिला है। लेकिन ये तोहफा पहाड़ के नौ जनपदों में तैनात पुलिसकर्मियों के लिए है। जबकि हकीकत में मानसिक तनाव तो तराई के चार जनपदों की पुलिस को रहता है। हरिद्वार, देहरादून, उधमसिंह और नैनीताल में तैनात पुलिसकर्मी मानसिक तनाव से ग्रस्त रहते है। अपराध के दृष्टिगत भी इन चार जनपदों का ग्राफ सबसे ऊपर है। वीवीआईपी और वीआईपी दौरे भी सर्वाधिक यहां पर ही होते है। ऐसे में अवकाश की जरूरत भी पहाड़ की पुलिस से ज्यादा तराई की पुलिस को ही है।
पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने परीक्षण के तौर पर पहाड़ पर तैनात पुलिस को छुट्टी देने का एक अभिनव प्रयोग किया है। संभावना है कि जल्दी ही तराई के चार जनपदों में तैनात पुलिसकर्मियों को भी अवकाश का लाभ मिल सकेगा। हालांकि उत्तराखंड में पुलिसकर्मियों की संख्या अपेक्षा के अनुरूप कम है। जिसके चलते पुलिसकर्मियों को अवकाश मिलने में भी देरी होती है। लेकिन अब तो साप्ताहिक अवकाश की बात सामने आई है तो तराई पुलिस को इसका लाभ मिलना जरूरी है।
पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने बताया कि उत्तराखण्ड के जनपद पौड़ी गढ़वाल, टिहरी, उत्तरकाशी, चमोली, रूद्रप्रयाग, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, बागेश्वर एवं चम्पावत में नियुक्त पुलिसकर्मियों को साप्ताहिक विश्राम प्रदान करने के निर्देश जारी किये हैं। साप्ताहिक अवकाश से पुलिस कर्मियों की कार्यक्षमता बेहतर होगी। उनका मनोबल उच्च रहेगा। उन्होंने बताया कि प्रथम चरण में परीक्षण के तौर पर दिनांक 01 जनवरी, 2021 से 09 पर्वतीय जनपदों में थाना/चौकी/पुलिस लाइन में नियुक्त मुख्य आरक्षी एवं आरक्षियों को साप्ताहिक विश्राम की सुविधा उपलब्ध कराये जाने का निर्णय लिया गया है। लेकिन साप्ताहिक विश्राम के दौरान पुलिस कर्मी नियुक्ति मुख्यालय नहीं छोड़ेगा तथा वह रिजर्व ड्यूटी पर समझा जाएगा। विशेष परिस्थिति में जैसे- आपदा, दुर्घटना एवं कानून व्यवस्था की स्थिति में यदि ड्यूटी पूरी नहीं हो पा रही है, तो साप्ताहिक विश्राम पर गये कर्मी को थाना प्रभारी द्वारा वापस बुलाया जा सकता है।

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