फेसबुक से शुरू तपस्या की जिंदगी की कठिन डगर, मेहनत से मुकाम तक का सफर




काजल राजपूत.
फेसबुक से शुरू हुई तपस्या (काल्पनिक नाम) की जिंदगी की कठिन डगर। मेहनत से मुकाम तक का सफर तय किया। गैर पुरूषों की गंदी निगाहों से बचकर रही। गैर पुरूषों के रहमोकरम पर जिंदा नहीं रही। जिंदगी में संघर्ष किया। तीन बच्चियों की परवरिश की। जिसमें से एक अनाथ बच्ची भी शामिल है। बच्चों के लिए घर बनाकर दिया। बैंक से लोन लिया लेकिन भारत सरकार की योजना से कोई मदद नहीं ली। ऐसी स्वावलंबी भारतीय नारी के चरणों में न्यूज127 का प्रणाम। न्यूज127 परिवार की ओर से पांच हजार रूपये का स्वावलंबी पुरूस्कार।

ये कहानी है हरिद्वार में एक ढाबा चलाने वाली तपस्या की। तपस्या नाम काल्पनिक है। हम महिला की पहचान सार्वजनिक नही कर सकते है। लेकिन जिन शब्दों को लिख रहे है। उसका एक—एक शब्द तपस्या की जिंदगी की काली अंधेरी रातों को चीरने के बाद एक सुनहरे दिन की हकीकत को बयां करता है।

इस कहानी की शुरूआत करीब सात साल पहले शुरू हुई। तमिलनाडु की रहने वाली तपस्या की दोस्ती फेसबुक पर उत्तराखंड के देहरादून के एक युवक से हुई। युवक हरिद्वार में ढाबा चलाता था। युवक ने तपस्या को अपने प्रेम में बांध लिया। युवक से प्रेम करने के चलते तपस्या भी तमिलनाडु छोड़कर हरिद्वार आ गई। दोनों ने शादी कर ली और साथ रहने लगे। दोनों का रिश्ता ठीक चल रहा था। लेकिन शराब पीने का शौकीन युवक आए दिन झगड़ा करने लगा। दोनों के रिश्ते में खटास आ गई।

समय गुजरता गया और तपस्या दो बच्चियों की मां बन गई। तपस्या अपने पति की मां की देखभाल करती और दोनों बच्चियों की परवरिश करती। वक्त मिलता तो ढाबे में पति के काम में सहयोग भी करती। लेकिन एक दिन अचानक उसका पति बिना कुछ बताए गायब हो गया। तपस्या ने काफी पता लगाने का प्रयास किया लेकिन कुछ पता नहीं चल पाया। युवक अपनी मां को भी छोड़ गया।

तपस्या की जिंदगी में एकाएक अंधेरा छा गया। दो बच्चियों और मां के साथ घर चलाने की जिम्मेदारी कंधों पर आ गई। तपस्या ने किराए के घर में बच्चों और मां को रखकर ढाबा चलाकर गुजर बसर करने की ठान ली। दिन रात मेहनत की, बच्चियों की देखभाल भी करती और मां की सेवा करती। ढाबे में कई बार गैर पुरूषों ने दोस्ती करने की कोशिश की लेकिन तपस्या ने इंकार कर दिया। इसी दौरान एक अनाथ बच्ची झाड़ियों में तपस्या को मिली। तपस्या उस बच्ची को भी अपने घर लेकर आ गई। जिंदगी की मुसीबतों से मुकाबला कर रही तपस्या के पास अब तीन बच्चियों की पर​वरिश करने की जिम्मेदारी आन पड़ी।

तपस्या ने हार नहीं मानी। जिंदगी के सफर में संघर्ष करती रही। एक—एक रूपये की बचत करती। बच्चियों और मां की देखभाल करती। अपने अतीत को पूरी तरह से भुला चुकी तपस्या का मकसद अपनी बेटियों को अच्छी शिक्षा देना और स्वावलंबी बनाना रह गया। उसकी मेहनत रंग लाई। ढाबा अच्छा चला तो बचत भी हुई। बैंक से लोन लिया और अपने लिए एक छोटा से घर खरीद लिया। अब मां और तीनों बेटियां अपने घर में आ गई। तपस्या के चेहरे पर खुशी और दिल में दर्द है। उसके चेहरे पर मेहनतकश होने का भाव झलकता है। एक चरित्रवान भारतीय नारी के सभी गुण दिखते है।

तपस्या आज पूरी तरह से खुश है। ढाबे के काम में कई बार उतार चढ़ाव आते है। उसका कारोबार ठीक चलता है। वह बच्चियों की अच्छी तरीके से देखभाल करती है। मां की सेवा करती है। लेकिन अपने पति के धोखे पर कुछ भी बताने से इंकार करती है। जिंदगी में जो कुछ भी हुआ, उसके लिए अपने भाग्य का लिखा मानती है।

तपस्या की कहानी यूं तो बहुत दर्दनाक है। हर अंधेरी रात में एक कठिन संघर्ष है। लेकिन तपस्या की मेहनत, लगन और जिंदगी से मुकाबला करने की ताकत काबिले तारीफ है। तपस्या ने अपनी जिंदगी अपने तीनों बच्चों में समेट ली है। पति की मां की सेवा करना ही उसका धर्म बनकर रह गया है। लेकिन इस कहानी के दूसरे किरदार की बात करें तो वह पति भी है। जिसने जन्म देने वाली मां को ही छोड़ दिया और दो बच्चियों को जन्म देने के बाद खुद भाग निकला। ऐसे पुरूष के बारे में आपकी क्या राय है, कमेंट करके जरूर बताए।



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