बहशी दरिंदों के निशाने पर रही हरिद्वार की महिलाएं, कोरोना काल का हाल





गगन नामदेव
कोरोना संक्रमण काल में हरिद्वार की महिलाएं बहशी दरिंदों के निशाने पर रही। बहशी दरिंदों ने कोरोला काल में भी महिलाओं को अपनी हवस का शिकार बनाया। अगर पुलिस रिकार्ड में दर्ज आंकड़ों की बात करें तो हरिद्वार जनपद में साल 2020 में करीब 141 महिलाओं को बलात्कार के दर्द से गुजरना पड़ा। जबकि साल 2019 में 147 और साल 2018 में 14़6 पीड़ित महिलाओं ने दुष्कर्म के मामलों में शिकायत देकर मुकदमे दर्ज कराए थे। हरिद्वार की ये स्थिति तब रही जब करीब छह माह लॉक डाउन रहा। ऐसे में हरिद्वार जनपद में इस तरह के कृत्यों का बढ़ना चिंता का विषय है।
हरिद्वार जनपद की पहचान धर्मनगरी के रूप में है। यहां पर धर्म की गूंज सुनाई पड़ती है। लेकिन ​बीते कुछ दशकों से हरिद्वार में सिडकुल की स्थापना के बाद बाहरी नागरिकों का स्थायित्व हुआ। जिसके चलते आपराधिक वारदातों में भी इजाफा हुआ। हालांकि पुलिस प्रशासन ने अपराध को रोकने की दिशा में प्रभावी कदम उठाए। पुलिस ने सुरक्षा व्यवस्था तंत्र को मजबूत किया और जनता को सुरक्षा का एहसास ​कराया। लेकिन समाज के सबसे घिनौने अपराध की बात करें तो वह महिला संबंधी है। हरिद्वार में महिलाओं से दुष्कर्म के मामलों में काई खास कमी देखने को नहीं मिल रही है। साल 2018 में 146 और 2019 में 147 मुकदमे दर्ज हुए। लेकिन साल 2020 में 141 मुकदमे दर्ज होना अपने आप में चिंतनीय विषय है। इससे पता चला कि घटिया लोगों की मानसिकता को बदलने में सभ्य समाज कामयाब नहीं हो पा रहा है। ये आंकड़े पुलिस विभाग की ओर से उपलब्ध कराए गए है।



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