नवीन चौहान
उत्तराखण्ड किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुलशन रोड़ ने प्रैस क्लब में प्रैसवार्ता के दौरान कहा कि राज्य सरकार को कुंभ मेले के विस्तार को लेकर प्रगति से काम करना चाहिए। पूरे जनपद को कुंभ मेला क्षेत्र में शामिल किया जाए। जिससे विकास कार्यो में तेजी आएगी। लेकिन शासन प्रशासन इस और कोई ध्यान नहीं दे रहा है। रूड़की से लगे आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों को भी कुंभ मेला क्षेत्र में सम्मिलित किया जाए। क्योंकि देश दुनिया से आने वाले श्रद्धालु रूड़की से ही धर्मनगरी में प्रवेश करते हैं। शासन प्रशासन कुंभ मेले के विस्तार को लेकर कोई नीति नहीं बना रहा है। सरकार के उदासनीता भरे रवैये के कारण कुंभ क्षेत्र का विस्तार अब तक नहीं हो पा रहा है। उन्होंने कुंभ विस्तार को तेजी से किए जाने की मांग की। गुलशन रोड़ ने किसानों की समस्या पर बोलते हुए कहा कि राज्य का किसान आर्थिक रूप से कमजोर हो रहा है। आपदा के कारण किसानों की फसलें बर्बाद हो जाती है। लेकिन सरकार मुआवजे के नाम पर किसानों से भद्दा मजाक कर रही है। उन्होंने कहा कि आपदा व ओलावृष्टि से हुए नुकसान की भरपाई तुरंत किसानों को मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि चीनी मिलों पर किसानों का करोड़ों रूपए का भुगतान अधर में लटका हुआ है। किसानों की फसलों के दामों का निर्धारण भी नहीं हो पा रहा है। प्रदेश का किसान अपने आपको छला सा महसूस कर रहा है। किसान अपनी फसलों की अच्छी पैदावार सीमित संसाधनों के चलते नहीं कर पाता है। सरकार किसानों को संसाधन भी उपलब्ध नहीं करा पा रही है। राज्य से मिलने वाली योजनाओं का लाभ कुछ ही किसानों को मिल पाता है। केंद्र द्वारा भेजी जा रही योजनाओं का प्रचार प्रसार नहीं होने से किसानों को योजनाओं का लाभ ना मिलना भी राज्य सरकार की नाकामी को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि किसानों की आर्थिक स्थिति को ठीक किया जाए तो प्रदेश खुशहाली की और बढ़ेगा। उत्तराखण्ड किसान मोर्चा प्रदेश भर में किसानों की लड़ाई को तेजी के साथ चलाएगा। किसी भी रूप में किसानों का उत्पीड़न बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उत्तराखण्ड के किसानों को संगठित कर उनके हकों को दिलाने के प्रयास भी तेजी के साथ किए जाएंगे। संगठन को मजबूती के साथ प्रदेश भर में विस्तार किया जाएगा। अधिक से अधिक किसानों को संगठन से जोड़ने की मुहिम चलायी जाएगी। प्रैसवार्ता में आकिल हसन, महताब सिंह, सुरेद्र नंबरदार, राजपाल, रमेश, मकर सिंह आदि भी मौजूद रहे।