जोगेंद्र मावी
हरिद्वार की राजनीति शीत लहर की चपेट में आ गई है। नेता बिस्तरों में घुस गए हैं। भाजपा के नेताओं की हलचल यदा कदा नजर आ रही हैं, लेकिन कांग्रेस तो पूरी तरह से शांत नजर आ रही है। जबकि दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन को कराने में भाजपा कांग्रेस पर प्रहार कर रही हैं, लेकिन कांग्रेस के नेता जवाब में कुछ भी करने को तैयार नहीं हैं। दिल्ली के आंदोलन के समर्थन में किसानों ने हरिद्वार में कई कार्यक्रम किए, लेकिन कांग्रेस कतई नहीं दिखी। जबकि कांग्रेस नेताओं का ख्वाब सत्ता में आने का है। जबकि भाजपा सत्ता में होते हुए रिपीट होने के लिए मेहनत कर रही है।
हरिद्वार की राजनीति इस समय शांत नजर आ रही है। सत्ता में होते हुए भी भाजपा के नेता मेहनत कर रहे हैं। लगातार कार्यक्रमों के चलते हुए उनकी सक्रियता पूरे हरिद्वार जनपद में दिख रही है। लेकिन कांग्रेस के नेता इस समय कहीं नजर नहीं आ रहे हैं। ऐसा नहीं है कि राज्य सत्ता उन्हें मुद्दे उठाने का मौका नहीं दे रही हैं। लेकिन कांग्रेस के नेताओं के शांत होने से कई सक्रिय नेता उनके हाथ से छूटते जा रहे हैं। वे फूल का दामन थामते जा रहे हैं। नेताओं से बात करते हैं तो एक दूसरे पर जिम्मेदारी डालते हुए अपना पीछा छुड़ा लेते हैं।
हरिद्वार जनपद में चार भागों में बंटकर कमजोर हुई कांग्रेस
कांग्रेस ने जनपद को चार भागों में बांटकर नुकसान उठाया है। जबकि उम्मीद थी कि इससे कांग्रेस मजबूत होगी। बड़े स्तर पर कार्यक्रम होंगे, लेकिन ऐसा होने के बजाय कांग्रेस कमजोर पड़ी है। हरिद्वार महानगर, हरिद्वार ग्रामीण, रुड़की महानगर और रुड़की देहात में बांटते हुए चार अध्यक्ष बनाए हुए हैं। इन चारों अध्यक्षों की बात करे तो हरिद्वार महानगर में ही कार्यक्रम नजर आते हैं। हरिद्वार ग्रामीण क्षेत्र की बात करें तो क्षेत्र के अध्यक्ष हरिद्वार महानगर के कार्यक्रम में आकर ही फोटो खिंचवा लेते हैं। यहीं हाल रुड़की क्षेत्र का है।
केवल पदों की लालसा तक ही सीमित हैं नेता
कांग्रेस के नेता पदों की लालसा तक सीमित रह गए हैं। सभी को जिलाध्यक्ष और प्रदेश कार्यकारिणी में बड़ा पद चाहिए। लेकिन जिन्हें पद मिला हुआ है वे भी शांत हैं। पार्टी को बढ़ाने या मुद्दे उठाकर जनता को अपनी ओर जोड़ने के लिए कोई काम नहीं करते।
जनहित के तमाम मुद्दों को उठाने का मौका
कुंभ कार्यों से लेकर ठप पड़े विकास कार्य, किसानों के गन्ने और धान का भुगतान, छात्रों की छात्रवृत्ति के साथ विभिन्न पेंशन, मनरेगा में मजदूरों को काम न मिलने, मलिन बस्तियों को उनके मकान का स्वामित्व, लॉकडाउन के बाद किसी भी वर्ग को राहत धनराशि न देने, किसी तरह के बिलों की माफी तो क्या छूट तक न देने, व्यापारियों के साथ पर्यटन से जुड़े कारोबारियों की आर्थिकी टूटने पर उनकी सहायता आदि के साथ तमाम ऐसे मुद्दे है, जिनको हवा देते हुए सर्दी में राजनीति को गर्म करने के मुद्दे है।
कांग्रेस लगातार मैदान में उतरकर जनता के बीच पहुंच रही हैं। कांग्रेस सरकारों के द्वारा किए गए कार्यों और भाजपा सरकार की जन विरोधी नीतियों को लेकर जनता के बीच में हैं। जिस उम्मीद से लोगों ने भाजपा की सरकार को चुना उनकी उम्मीदें धराशायी हुई है। विधानसभा—2022 की तैयारियों में लगे हुए हैं और बड़े स्तर पर मैदान में उतरने को कार्ययोजना तैयार की जा रही है। ………… डॉ संजय पालीवाल, महासचिव, प्रदेश कांग्रेस कमेटी।