जानिए किसने कहा, गंगा न कभी मैली थी, न कभी हो सकती है




नवीन चौहान, हरिद्वार। रविवार को दादूबाग, कनखल में पतंजलि योगपीठ के आचार्य बालकृष्ण के दिशानिर्देशन में गंगा सफाई अभियान प्रारम्भ किया गया। इस अवसर पर आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि इस अभियान में सम्मिलित होकर आनंद का अनुभव हो रहा है। उन्होंने कहा कि गंगा के तटों से टकराती अविरल धारा को देखकर लगता है कि गंगा न तो कभी मैली थी और न कभी हो सकती है। हमने गंगा को इस अवस्था में पहुंचाकर दीन-हीन बनाया है। यदि हम संकल्पित हों कि गंगा में हम कचरा नहीं डालेंगे तो गंगा पूरी तरह कचरा मुक्त हो जाएगी।
आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि भारतीय संस्कृति में मां गंगा की विशिष्ट धार्मिक एवं आध्यात्मिक मान्यता है। यह हमारी पुरातन संस्कृति तथा परम्पराओं की प्रतीक है तथा इनसे श्रद्धालुओं के जन्म-मरण का नाता है। कहा कि गंगा में हो रहे प्रदूषण एवं गंदगी के जिम्मेदार सभी कारणों पर रोक का समुचित प्रावधान करके ही हम गंगा की अविरलता को सुरक्षित रख सकते हैं। गंगा को प्रदूषण मुक्त रखना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है, अगर समाज इसके प्रति जागरूक नहीं हुआ तो इससे होने वाले लाभ, हानि में परिवर्तित हो जायेंगे। उन्होंने कहा कि प्रत्येक कार्य के लिए प्रशासन पर निर्भर रहना उचित नहीं है, हमें अपनी जिम्मेदारियों को समझना होगा।
आचार्य बालकृष्ण ने देशवासियों से आह्नान किया कि स्वस्थ, समृद्धशाली, कचरा व गन्दगी मुक्त, रोगरहित राष्ट्र की संकल्पना का संकल्प लें। आज ही पंतद्वीप पार्किंग के समीप गंगा सफाई अभियान के तहत पतंजलि विश्वविद्यालय के लगभग 50 छात्र-छात्रओं ने भाग लिया।



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