भौतिक विज्ञान के विद्वानों ने विकिरणों के प्रभाव दुष्प्रभाव पर किया मंथन




हरिद्वार। देश के जाने माने भौतिक विज्ञान के विद्वानों ने तीन दिनों तक गुरु कुल कांगड़ी विश्वविद्यालय में विकिरण जागरुकता प्रभाव व निदान पर मंथन किया गया। विद्वान प्रोफसरों ने मनुष्य के जीवन में विकिरण की उपयोगिता और हानिकारक प्रभावों पर व्याख्यान दिये। भौतिक विज्ञान के शोध छात्रों ने 20 शोध पत्र प्रस्तुत किये।
गुरुकल कांगड़ी विश्वविद्यालय के सीनेट हॉल में भौतिक विज्ञान विभाग की ओर से आयोजित संगोष्ठी के समापन सत्र में देश के कई नामी संस्थानों के प्रोफेसरों ने व्याख्यान दिये। प्रो आर सी रमोला ने विश्व व भारत में विकिरण पर शोध के बारे में विस्तृत जानकारी दी। प्रो अश्वनी कुमार ने विकिरण का मेडिकल क्षेत्र में उपयोगिता पर प्रकाश डाला। दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो डी पी डिमरी व प्रो एस के ढाका ने सूर्य से प्राप्त विकिरणों से पृथ्वी पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में बताया गया। ऐरीज नैनीताल के वैज्ञानिक डॉ नरेंद्र ने वातावरण में उपस्थित विकिरण, प्राकृतिक आपदा व निदान पर प्रकाश डाला। प्रो पीपी पाठक ने मोबाइल विकिरण के दुष्प्रभावों पर व्याखान दिया। इनके सभी के अतिरिक्त शोध छात्र मुकेश प्रसाद, सैयद सकीन, अंजली कौशल ने पीने के पानी में रेडम व यूरेनियम की मात्रा तथा उसका शरीर पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में बताया। संजय दत्त, मंजु लता, मनप्रीत कौर, डा सुभाष व मनीष ने पृथ्वी के रेंज गैस के बारे में बताया। अमरदीप ने दूषित वायु के विकिरणों की जानकारी दी। इसके अलावा डॉ आलोक कुमार, महिमा व राहुल कौशिक ने मोबाइल की विकिरणों की जानकारी दी। सुनीता व तुषार कंडारी ने मेन बाउंड्री व सेंटल बाउंड्री के आसपास विकिरण के प्रभाव के बारे में बताया। प्रीति, पूनम सेमवाल ने रेडस व फोरस का ऋतु, सर्दी गर्मी व वर्षा के साथ परिवर्तन पर प्रकाश डाला। अनामिका ने हरिद्वार व देहरादून में पानी में यूरेनियम की मात्रा में बताया। नीतिका ने रेल व फोरम के प्रभाव को एक मॉडल के आधार पर समझाया। पूरी कार्यशाला में प्रो पीपी पाठक समन्वयक, डा हेमवती नंदन आयोजन सचिव व डा कुलदीप सिंह ने सभी तकनीकि व्याख्यान को कोर्डिनेट किया। रुड़की आईआईटी के प्रोफेसर गौरी सेठी ने विकिरण को मापने के उपकरणों पर प्रकाश डाला।



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