नवीन चौहान.
यूपी में वरिष्ठ आईपीएस और तेज तर्रार पुलिस अधिकारी नवनीत सिकेरा ने अपना एक यादगार लम्हा साझा किया है। उन्होंने बताया कि कैसे ट्रेनिंग के दौरान मसूरी एकादमी में उन्होंने एक भूटिया पिल्ले को अपना बना लिया था। उन्होंने बताया कि वही लम्हा एक बार फिर हाल में उनके सामने आ गया। अपने इस यादगार लम्हे को उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर साझा किया है। आप भी पढ़िए उन्होंने क्या लिखा:—
अभी हाल में ही परिवार के साथ उत्तराखंड जाना हुआ, कसार देवी मां के मंदिर जाते समय जगह जगह बहुत प्यारे भूटिया नस्ल के पहाड़ी कुत्ते घूमते नजर आ रहे थे, बातों बातों में मैंने बच्चों को बताया कि जब मैं पहली बार ट्रेकिंग पर पहाड़ों में आया था, तो रास्ते में एक भूटिया पिल्ला मिला जो कमजोर और भूखा था, मैंने उसे अपने बैग में रख लिया ये सोच के की कुछ खिला पिला कर छोड़ दूंगा, कुछ किलोमीटर चलने के बाद कोई दुकान दिखी तो उसको अच्छे से खिलाया और जब ग्रुप का आगे बढ़ने का समय हुआ तो भारी मन से मैं भी आगे चलने को तैयार हो गया, मैं आगे का रास्ता देखूं और पलट कर उस छोटे से बच्चे की आशा भरी आंखों को, जैसे ही मैं आगे बढ़ा , मैंने मन में सोचा अब पलट कर नहीं देखूंगा , मन कमजोर पड़ जायेगा, क्योंकि मैं उसे कैसे पालता, LBSNAA मसूरी में ट्रेनिंग कर रहा था, हॉस्टल में रख नहीं सकता था, क्या करता, मन मार के मैं आगे बढ़ता गया। काफी दूर चलने के बाद मन नहीं माना सोचा एक बार पीछे पलट के देखूं, अब इस मोड़ से मुझे वो दुकान दिख रही थी जहां मैं उस बच्चे को छोड़ आया था। पलट के देखा तो दिल धक रह गया छोटा सा प्राणी धीमे कदम से मेरे पीछे चला आ रहा था। भावनाओं का सैलाव सा आ गया था, अब दिमाग ने सोचना बंद कर दिया, अब दिल की बारी थी, बच्चे को उठा कर फिर से ट्रेकिंग बैग में रख लिया और चल दिया ये सोच के की देखा जायेगा।
लंबी कहानी है, जैसे तैसे मैं उससे मसूरी ले आया, रास्ते में कितनी सफाई करनी पड़ी होगी आप समझ सकते हो? कहते हैं ना कि जब इरादा नेक हो तो रास्ते अनेक खुल जाते है, वही हुआ। मसूरी में अकादमी के नीचे एक फेमस ढाबा है और जो भी मसूरी में ट्रेनिंग करने गया होगा उसने वहां जरूर चाय पी होगी मैगी खाई होगी। मैने अपनी समस्या गंगा ढाबा वाली आंटी जी को बताई और कहा कि जब तक मैं ट्रेनिंग में हूं आप इसे रख लो, मैं इसका सारा खर्चा देता रहूंगा। आंटी ने बड़े प्यार से कहा आप इसे यही छोड़ दो, मैं पूरा खयाल रखूँगी, और आंटी जी ने अपना वादा निभाया, ट्रेनिंग खत्म हुई तो मैंने आंटी जी को लिफाफे में रख कर कुछ खर्चा पानी दिया, लेकिन वो मुस्कराई बोली ये मैं हरगिज नहीं लूंगी , मेरे लिए तो ये मेरे बेटे जैसा हो गया था, मुझे बहुत याद आयेगी इसकी।
चूंकि ट्रेकिंग से लाया था उसका नाम ट्रेकी ही रख दिया। क्या बताऊं कितना प्यार दिया ट्रैकी ने। ASP Meerut बना तो मेरा घर अब उसका घर था। बेमिसाल यादें देकर गया, थोड़े से खाने के बदले में इतना प्यार और समर्पण कोई नहीं से सकता। ट्रैकी ने अपनी उम्र पूरी की और एक दिन चला गया। पहाड़ पर हर भूटिया को देखकर यही कहानी संस्मरण मेरे जहन में घूम रहे थे। साथ ही मेरे बच्चो की जिद बढ़ती जा रही थी ,पापा एक भूटिया चाहिए, चाहिए ही चाहिए, मैं परेशान कि यहां बच्चा कैसे मिलेगा, कैसे इतनी दूर ले जायेंगे , मैंने कहा ठीक है तुम लोग जाकर पता करो, मुझे यकीन था कि थोड़ी देर में खाली हाथ लौट आएंगे। पर हुआ कुछ उल्टा, बच्चे दौड़ते हुए आए और मुझे अपने साथ ले गए और इस तरह हम मेहरा परिवार से मिले। हमने कहा आप बताइए कितने में देंगे, Mrs मेहरा ने कहा कि हमारा बच्चा अच्छे घर में जा रहा है आप ध्यान रखना, हम आपको गिफ्ट देंगे। और जब वह उसको फाइनली मुझे दे रही थी उनकी आंखों में आंसू थे, बड़े प्यार से उसको चूमा और मुझे थमा दिया, लगा की गंगा ढाबा वाली आंटी ही फिर से ट्रैकी मुझे दे रही हैं। ऐसा लगा की पुराना वाला ट्रैकी फिर से वापस घर आ गया हो। आप दोनों का बहुत बहुत शुक्रिया, आपका ट्रैकी बहुत मस्ती कर रहा है और मैं हर महीने आपको इसकी फोटो भेजता रहूंगा।
❤ से प्यार, शुक्रिया
Navniet Sekera