नवीन चौहान
हरिद्वार में एक 11 साल की मासूम का मुस्कराता चेहरा खामोश हुआ तो तमाम माता—पिता चिंतित हो उठे। माता—पिता अपनी बेटियों को सीने से लगाकर रो रहे है। सभी को अपनी बेटी की सुरक्षा की चिंता सता रही है। घटना तो हरिद्वार की एक 11 साल की बेटी के साथ हुई तो दहशतजदा हरिद्वार के तमाम माता—पिता हो उठे। जी हां ये घटना किसी भी इंसान के रौंगटे खड़ा कर देने वाली हुई है।
मासूम का कत्ल करने बाद आरोपी युवक ने कपड़े रखने की रैक में उसके शव को छिपाया। उससे भी बड़ी बात यह रही कि पड़ोस के ही 22 साल के युवक ने उस बेटी के विश्वास का भी कत्ल कर दिया। आखिरकार कितने भरोसे के साथ उस मासूम गुड़िया ने उस युवक से पतंग दिलाने की उम्मीद की होगी।
मां गंगा की नगरी में हरिद्वार में एक 11 साल की मासूम बेटी के साथ हुई अमानवीय पूर्ण घटना के बाद हरिद्वार के तमाम माता—पिता बेहद चिंतित नजर आ रहे है। बुद्धजीवी वर्ग खामोश है। युवा पीढ़ी में आई विकृति को दूर करने का उपाय सोच रहे है। पड़ोसी युवक के द्वारा इस तरह की घिनौनी करतूत के सामने आने के बाद हर किसी व्यक्ति की आंखों में आंसू है। मासूम के परिजनों का ढांढस बंधाने के लिए उनके मुंह में शब्द नहीं है। सभी नागरिकों ने एक स्वर में आरोपी को फांसी देने की मांग है। हालांकि कानून तो सबूतों के आधार पर आरोपी को सजा सुनायेगा। पुलिस पीड़ितों को इंसाफ भी दिला देंगी। लेकिन मासूम की दर्दनाक मौत परिजनों को आजीवन दुख पहुंचाती रहेगी। समाजसेवी नरेश जैनर ने बच्ची की मौत पर गहरा सदमा व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने जीवन काल में हमेशा नैतिक मूल्य और संस्कारों पर बल दिया। लेकिन समाज में इस तरह की घटनाएं आत्मिक रूप से कमजोर करती है। हमारा समाज किस ओर जा रहा है। परिवार के लोग अपने बच्चों में संस्कारों का बीजारोपण ठीक तरीके से नहीं कर रहे है। एसएमजेएल कॉलेज के प्राचार्य डॉ सुनील बत्रा ने भी बच्ची की दुखद मौत पर शोक व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि भारत को अपनी संस्कृति को पढ़ना और आत्मसात करने की जरूरत आन पड़ी है। मनोवैज्ञानिक डॉ राजीव रंजन तिवारी ने बताया कि इस तरह की घटनाएं मानसिक विकृति के कारण होती है। मनुष्य के मस्तिष्क में जब विकार उत्पन्न होते है तब इस तरह के अपराध सामने आते है। बच्चों की नई पीढ़ी को अपने देश की संस्कृति और संस्कारों से जोड़कर रखना बहुत जरूरी है।
हालांकि इस आपराधिक घटना ने हरिद्वार को तो शर्मसार कर ही दिया है। अपराधी भले ही सलाखों के पीछे पहुंच जाए। लेकिन तमाम माता—पिता को अब बेहद सतर्क रहने की जरूरत है। बच्चियों की सुरक्षा के प्रति अलर्ट रहना होगा। माता—पिता की सजगता ही बच्चियों की मुस्कराहट को सुरक्षित रख सकती है।